Sam Pitroda: भारतीय जनता पार्टी ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा द्वारा चीन के समर्थन में दिए गए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हमला किया है। सोमवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सैम पित्रोदा के बयान को गलवान घाटी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों का अपमान बताया।
Sam Pitroda के बयान पर भड़के सुधांशु त्रिवेदी
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सैम पित्रोदा के बयान में शब्द जरूर सैम पित्रोदा के अपने हैं लेकिन संगीत जॉर्ज सोरोस का है। सैम पित्रोदा राहुल गांधी के गुरु हैं। राहुल गांधी ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन पार्टी के साथ गुप्त संधि भी की है। राजीव गांधी ने चीन से फंड लिया था। जवाहरलाल नेहरू ने अक्साई चिन और यूएनएससी में भारत की सीट चीन को दे दी थी। कांग्रेस और चीन की दोस्ती बहुत पुरानी है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को दिए गए लोन के दबाव में वे ऐसा बोल रहे हैं। क्या यह गलवान के शहीदों का अपमान है या नहीं?
भारत की अस्मिता पर गहरा आघात- सुधांशु त्रिवेदी
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व पटल पर शक्तिशाली बन रहा है। ऐसे में कई शक्तियां इसे रोकने की साजिश कर रही हैं। ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का बयान चीन के साथ रिश्तों को बयां कर रहा है। यह भारत की अस्मिता पर गहरा आघात है। उन्होंने कहा है कि चीन के साथ कोई विवाद नहीं है। यह कोई अलग-थलग विचार नहीं है। राहुल गांधी भी कई ऐसे ही बयान दे चुके हैं।
सुधांशु ने आरोप लगाया कि भारत में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए गठबंधन बनाया जा रहा है। इससे गौरव गगोई का कनेक्शन भी पता चलता है। कांग्रेस की विदेशी शक्तियों से प्रेम की दुकान है। इसके साथ ही वे भारत में झगड़े भड़काने का काम करते हैं। राहुल गांधी का बयान भारत की संप्रभुता को प्रभावित करने के लिए है।
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Sam Pitroda ने क्या कहा था
गौरतलब है कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा था कि मैं चीन से खतरे को समझ नहीं पा रहा हूं। मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है। मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश एक-दूसरे के साथ सहयोग करें, न कि टकराव करें।
हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं, जिन्हें बदले में देश के भीतर समर्थन मिलता है। हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है। यह न केवल चीन के लिए, बल्कि सभी के लिए अनुचित है।