गांधीनगर: खालिस्तानी अलगाववादी ताकतों द्वारा अमेरिका में एक मंदिर की दीवार पर आपत्तिजनक नारे लिखे जाने की घटना पर विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर (Foreign Minister Dr. Subramaniam Jaishankar) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अलगाववादी ताकतों को भारत के बाहर जगह नहीं मिलनी चाहिए। हमारे दूतावास ने इसकी शिकायत वहां की सरकार और पुलिस से की है, जांच जारी है।
भारतीय राजनीति की महत्वपूर्ण उपलब्धि
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर शनिवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। विदेश मंत्री ने कहा कि यह भारतीय कूटनीति की उपलब्धि रही है कि हम कई प्रतिस्पर्धी शक्तियों के साथ संबंध बनाने में सफल रहे हैं। भू-राजनीतिक विचार अक्सर चुनौतीपूर्ण समय के दौरान विश्वसनीय भागीदारों की पहचान करने के इर्द-गिर्द घूमते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह भारतीय कूटनीति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है कि हम अक्सर प्रतिस्पर्धी शक्तियों के साथ संबंध बनाने में सफल रहे हैं।’
आतंकवाद को जवाब देना जरूरी
आतंकवाद पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘आप लोग ये मत सोचिए कि आतंकवाद अभी शुरू हुआ है। इसकी शुरुआत हमारी आजादी के समय हुई, जब पूरे पाकिस्तान से तथाकथित आक्रमणकारी यहां आये। इस देश में बहुत कुछ बदल गया है। मेरे लिए सबसे चौंकाने वाला और परिवर्तनकारी क्षण मुंबई में 26/11 का हमला है। बहुत से लोग 26/11 के आतंकवाद की वास्तविक तस्वीरें देखने से पहले बहुत भ्रमित थे।
उन्होंने कहा, ‘अब हमें पहले इसका मुकाबला करने की जरूरत है। कुछ लोगों ने 26/11 के बाद दूसरा गाल आगे करने की भारत की प्रतिक्रिया की सराहना की। जबकि मुझे नहीं लगता कि अभी देश का मूड ऐसा है। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई मतलब है। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई रणनीतिक मतलब है। अगर कोई सीमा पार आतंकवाद कर रहा है तो आपको जवाब देना चाहिए।’
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गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में कुल 414 छात्रों को विभिन्न स्नातक डिग्री प्रदान की गईं। इसमें 30 डिप्लोमा, 85 स्नातक, 169 स्नातकोत्तर, 127 स्नातकोत्तर डिप्लोमा और 3 डॉक्टरेट डिग्री शामिल हैं। समारोह का मुख्य आकर्षण उन असाधारण छात्रों को 12 स्वर्ण पदक प्रदान करना है जिन्होंने अपने शैक्षणिक कार्यकाल के दौरान अनुकरणीय समर्पण और उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया है। विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने उनकी असाधारण उपलब्धियों का सम्मान किया।
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