UP Electricity: पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण (Privatization) के बाद भी वहां के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरें नियामक आयोग ही तय करेगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स से मंजूर किए गए मसौदे से यह तय हो गया कि इन दोनों डिस्कॉम के 1.62 करोड़ उपभोक्ताओं की दरें आयोग ही तय करेगा।
प्रदेश सरकार की ओर से इन निजी कम्पनियों को आठ-नौ हजार रुपए सब्सिडी भी दी जाती रहेगी। एनर्जी टास्स फोर्स से पांचों निजी कम्पनियों के नाम भी तय कर दिए गए हैं। पूर्वांचल डिस्कॉम में बनने वाली तीन नई कम्पनियों के नाम काशी विद्युत वितरण निगम लि., गोरखपुर विद्युत वितरण निगम लि. और प्रयागराज विद्युत वितरण लि. हैं। दक्षिणांचल डिस्कॉम की दो नई कम्पनियों के नाम आगरा-मथुरा विद्युत वितरण निगम लि. और झांसी-कानुपर विद्युत वितरण निगम लि. हैं।
UP Electricity Privatization पर क्यों उठाए जा रहे सवाल
मसौदे में दोनों डिस्कॉम पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 16,000 करोड़ रुपए सरप्लस का जिक्र न होने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। मसौदे में सरप्लस का जिक्र नहीं है तो यह देनदारी किसके ऊपर रहेगी, दोनों डिस्कॉम का अस्तित्व समाप्त होने के बाद उपभोक्ताओं को सरप्लस का लाभ कैसे सुनिश्चित किया जाएगा। संभावना जताई जा रही है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम को लेने के लिए अडानी पावर बोली लगा सकती है। बीते वर्ष गाजियाबाद व नोएडा की विद्युत वितरण व्यवस्था संभालने के लिए अडानी पावर ने समानांतर लाइसेंस का आवेदन किया था। हालांकि, कम्पनी की नेटवर्थ कम होने के चलते नियामक आयोग में अडानी के लाइसेंस की प्रक्रिया अटक गयी थी।
इस बार पीपीपी मॉडल पर बिजली कम्पनियों के निजीकरण की पहल पावर कॉर्पोरेशन की ओर से की गयी है। ऐसे में अब देश के बड़े निजी घरानों के एनर्जी सेक्टर में घुसपैठ को तय माना जा रहा है। एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में पेश मसौदे में नई बिजली कम्पनियों के नाम के साथ जमीन के हल पर भी फैसला लिया गया। बैठक में तय हुआ कि दोनों डिस्कॉम की जमीन निजी घरानों को एक रुपए टोकन पर दी जाएगी। हालांकि, निजी घराने न तो इस जमीन को बेंच सकेंगे और न ही इसका इस्तेमाल किसी अन्य कार्य में कर सकेंगे। पहली बार ऐसा हुआ है कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल की पूरी जमीन एक रुपए टोकन मनी पर निजी घरानों को देने की बात कही गयी है।
लाइन लॉस के झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने एनर्जी टास्क फोर्स में लाइन लॉस के झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप लगाया है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि यूपीपीसीएल ने जल्दबाजी में एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में पूर्वांचल की विद्युत हानियों को 49.22 प्रतिशत व दक्षिणांचल की विद्युत हानियों को 39.42 प्रतिशत अनुमोदित कराकर उद्योगपतियों को बड़ा फायदा देने की तैयारी है। प्रबंधन को यह मालूम होना चाहिए कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) में लाइन हानियों का आकलन पहले ही किया जा चुका है। बीते तीन वर्षों में लाइन हानियां काफी कम हुई हैं। ऐसे में जब तेजी से सुधार हुआ है तो निजीकरण की जरूरत क्यों है।
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UP Electricity: घाटमपुर पावर प्लांट की पहली यूनिट से उत्पादन शुरू
आठ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार घाटमपुर पावर प्लांट से बिजली उत्पादन शुरू हो गया। पावर प्लांट की पहली यूनिट का वाणिज्यिक संचालन शुरू कर दिया गया। घाटमपुर क्षेत्र के यमुना तटवर्ती गांवों में नेयवेली उप्र पावर लिमिटेड द्वारा 1980 मेगावाट क्षमता का पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है। इसमें कोल आधारित सुपर क्रिटिकल की 660 मेगावाट क्षमता की तीन इकाइयां स्थापित होनी हैं। वर्ष 2016 से 660 मेगावाट क्षमता वाली पहली इकाई का काम चालू था। कम्पनी ने 660 मेगावाट की पहली यूनिट का सफल परीक्षण कर बिजली उत्पादन शुरू कर दिया।
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