Home उत्तर प्रदेश जीरो टाॅलरेंस नीति से यूपी में कायम है कानून राज

जीरो टाॅलरेंस नीति से यूपी में कायम है कानून राज


लखनऊः उत्तर प्रदेश में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है। 2017 में सत्ता सम्भालने के बाद से ही इस दावे को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टाॅलरेंस नीति के साथ धरातल पर उतारते भी रहे हैं। अपराधियों में योगी के नाम का ऐसा खौफ है कि वे खुद ही थानों में जाकर आत्मसमर्पण करते दिखाई दिए। प्रदेश में अपने आतंक से लोगों को भयभीत करने वाले अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी और विजय मिश्रा जैसे अपराधी अब सलाखों के पीछे हैं। ऐसे में उनकी हालत देखकर यूपी के बड़े से बड़े गैंग दहशत में हैं और अपराध पर लगाम लग रही है।


बात अगर अपराध दर (प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध की संख्या) की हो तो उत्तर प्रदेश भारतीय राज्यों की लिस्ट के निचले हिस्से में बना हुआ है। 2017 के बाद से पिछले 05 वर्षों में अपराध की संख्या में तेज गिरावट देखी गई है। कोविड के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान साल 2020 में अपराध पर लगाम लगी रही, जो आगे आने वाले साल 2021 में भी कायम है। अपराध की संख्या में भी बहुत तेजी से गिरवाट दर्ज की गई। एनसीआरबी-2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय अपराध दर प्रति लाख जनसंख्या पर 268 थी, जबकि उत्तर प्रदेश में यह 154 था। 28 राज्यों और 08 केंद्र शासित प्रदेशों में यूपी 23वें स्थान पर था। इसके अलावा जब साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं की बात आती है, तो यूपी में केवल एक मामला दर्ज किया गया, जबकि बिहार में 51 मामले दर्ज हुए थे जो तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है।

इसी तरह दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले राज्य महाराष्ट्र में 77 घटनाएं दर्ज की गईं। चार सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों (महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल और एमपी) की तुलना में यूपी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। एनसीआरबी-2021 के अनुसार, यह हत्या दर के मामले में इन राज्यों में पांचवें नंबर पर था। यूपी बलात्कार की दर में बिहार और बंगाल के बाद तीसरे नम्बर पर था। इसके बाद बात अगर डकैती की हो, तो इस मामले में यूपी चैथे नम्बर पर था। आपात स्थिति के दौरान तेजी से प्रतिक्रिया के लिए औद्योगिक प्रतिष्ठानों को संचालित करने वाली निजी सुरक्षा कम्पनियों के अलार्म सिस्टम को यूपी 112 के साथ एकीकृत किया गया है।


पुलिसकर्मियों की भर्ती से व्यवस्था हुई दुरूस्त


मिली जानकारी के अनुसार, 2017 से सभी विंगों में विभिन्न रैंकों पर 1.75 लाख पुलिसकर्मियों की समय पर भर्ती और सीएम के निर्देश पर 46 निष्क्रिय पीएसी इकाइयों को सक्रिय करने से न केवल पुलिस की उपस्थिति बढ़ी, बल्कि कानून व्यवस्था की समस्याओं से निपटने में भी मदद मिली। इसके अलावा यूपी 112 पुलिस की प्रतिक्रिया में समय कम होने के कारण डकैती और चोरी के मामलों में गिरावट दर्ज की गई, जो शहरी क्षेत्रों में घटकर सात मिनट हो गई है। 2017 के बाद से राज्य भर में सूचीबद्ध गैंगस्टरों के खिलाफ एक निरंतर अभियान चलाया जा रहा है। सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की कार्यवाही के अलावा, ज्यादातर गैंगस्टर अधिनियम के प्रावधानों के तहत 3,500 करोड़ रुपए की सम्पत्ति कुर्क की और उनका साम्राज्य ध्वस्त कर दिया।


अवैध बूचड़खानों व अवैध पार्किंग पर बुलडोजर


माफियाओं द्वारा चलाए जा रहे अवैध बूचड़खानों और अवैध पार्किंग स्टैंड पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए सघन प्रयास किए जा रहे हैं और कोयले के अवैध धंधे में लिप्त माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। अवैध लाइसेंसों को निलम्बित किया जा रहा है और उनकी सम्पत्तियों को कुर्क किया जा रहा है।


इन सफल आयोजनों ने दिलाई वाहवाही


2019 में कुम्भ का सफल आयोजन हुआ था, जो कानून व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करने के लिए योगी सरकार द्वारा उठाए गए उपायों के प्रभाव को दर्शाता है। इस मेले में करोड़ों लोगों ने भाग लिया था। इसके अलावा राज्य ने 2019 में वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया, जिसमें 85 देशों के 7,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया। 2020 में डिफेंस एक्सपो का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया था।

रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान

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