रांची: झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक और नकल रोकने के लिए सरकार द्वारा लाये जा रहे बिल पर विवाद खड़ा हो गया है। अगर यह बिल कानून बन गया तो पेपर लीक और नकल के दोषी पाए जाने वालों को तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और पांच लाख से एक करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। बीजेपी और आजसू पार्टी ने इस बिल की तुलना ब्रिटिश शासन के खौफनाक कानून से की है।
झारखंड सरकार इस विधेयक को विधानसभा के चालू मानसून सत्र में पारित कराने की तैयारी में है। इसके मसौदे को हाल ही में कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस विधेयक का नाम ‘झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम और रोकथाम के उपाय) अधिनियम-2023’ है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में पार्टी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत सरकार ‘झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक-2023’ के नाम पर अंग्रेजों से भी खतरनाक कानून लेकर आई है। इसके प्रावधान राजद्रोह, पॉक्सो, एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम से भी अधिक सशक्त और खतरनाक हैं।
उन्होंने कहा कि अगर यह बिल कानून बन गया तो भर्ती परीक्षाओं पर सवाल उठाने वाले अभ्यर्थियों पर 10 साल का प्रतिबंध लग जाएगा। विधेयक में प्रावधान किया जा रहा है कि कोई भी अधिकारी किसी भी इमारत, स्थान, जहाज, विमान या वाहन पर, जिस पर उसे संदेह हो, घुसकर उसकी तलाशी ले सकता है। इतना ही नहीं, ऐसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर के लिए किसी प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी। बिना जांच के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। अगर एक बार ‘झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक-2023’ लागू हो गया, तो कोई भी परीक्षार्थी सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठा पायेगा। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस कानून का विरोध करेगी।
यह भी पढ़ें-Punjab: खोले जाएंगे नए 75 आम आदमी क्लीनिक, अब तक बन चुके हैं 853…
यह छात्रों को जेल भेजने के लिए लाया गया है। उसका करियर बर्बाद कर दूंगा। भ्रष्ट और बेईमान अधिकारी इस खराब कानून की आड़ में राजनीतिक हथियार बनकर बदले की भावना से किसी के घर में घुस जायेंगे और किसी को भी उठाकर जेल भेज देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन अपने खिलाफ उठ रही जनता की आवाज, गुस्से और असंतोष को दबाने के लिए काला कानून लेकर आये हैं। झारखंड की जनता समझदार है। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे इस काले कानून का पुरजोर विरोध करें।
आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो ने भी कहा है कि सरकार परीक्षा में कदाचार रोकने के नाम पर जिस तरह का कानून बनाना चाहती है, उससे साफ है कि वह छात्रों की आवाज दबाना चाहती है। हम इसके खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। हम लाठी और हथकड़ी के बल पर युवाओं की आवाज को दबने नहीं देंगे। इधर, झारखंड सरकार में भागीदार कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि इस विधेयक के मुताबिक दुराचार के आरोपियों के खिलाफ कड़ी सजा के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है। वह इस मुद्दे पर सरकार से बात करेंगे।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)