Saturday, March 15, 2025
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Homeफीचर्डRSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- हिंदू मतलब विश्व का सबसे उदारतम मानव

RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- हिंदू मतलब विश्व का सबसे उदारतम मानव

जयपुरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हम अपना धर्म भूल गए और स्वार्थ के अधीन हो गए, इसीलिए छुआछूत शुरू हुई। ऊंच-नीच की भावना बढ़ी, हमें इस भावना को पूरी तरह से मिटाना है। जहां संघ का कार्य प्रभावी है, संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, जल, श्मशान हिंदुओं के लिए खुले रहें, यह कार्य समाज का मन बदलकर करना होगा।

जो कार्य हम कर रहे हैं उसे ठीक से समझना जरूरी

सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, आत्मबोध और नागरिक अनुशासन इन पांच विषयों को अपने जीवन में शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब स्वयंसेवक इन बातों को अपने जीवन में शामिल करेंगे, तो समाज भी उनका अनुसरण करेगा। डॉ. भागवत रविवार को अलवर जिले के इंदिरा गांधी खेल मैदान में स्वयंसेवकों के समागम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि अगले वर्ष संघ कार्य के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। संघ की कार्य पद्धति लंबे समय से चली आ रही है। जब हम कार्य करते हैं, तो हमें ठीक से समझ लेना चाहिए कि उसके पीछे क्या विचार है और यह विचार हमारे कार्य के पीछे हमेशा जागृत रहना चाहिए। राष्ट्र को मजबूत बनाना है। हमने प्रार्थना में ही कहा है कि यह हिंदू राष्ट्र है। क्योंकि इसके लिए हिंदू समाज जिम्मेदार है। अगर इस राष्ट्र का कुछ अच्छा होता है, तो हिंदू समाज का गौरव बढ़ता है। अगर इस राष्ट्र में कुछ गलत होता है, तो इसका दोष हिंदू समाज पर आता है, क्योंकि वही इस देश का निर्माता है।

हिंदू का अर्थ है दुनिया का सबसे उदार मानव

आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि राष्ट्र को अत्यंत गौरवशाली और शक्तिशाली बनाने का कार्य पुरुषार्थ के साथ करने की जरूरत है। हमें सक्षम बनना होगा। इसके लिए पूरे समाज को सक्षम बनाना होगा। जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, वह वास्तव में मानव धर्म है, विश्व धर्म है और यह सभी के कल्याण की कामना के साथ चलता है। हिंदू का अर्थ है दुनिया का सबसे उदार मानव, जो सब कुछ स्वीकार करता है। सभी के प्रति सद्भावना रखता है। शक्तिशाली पूर्वजों का वंशज है। जो शिक्षा का उपयोग विवाद पैदा करने के लिए नहीं करता, ज्ञान देने के लिए करता है।

धन का उपयोग नशे के लिए नहीं करता, दान के लिए करता है। वह अपनी शक्ति का उपयोग कमजोरों की रक्षा के लिए करता है। जिसका चरित्र ऐसा है, जिसकी संस्कृति ऐसी है, वह हिंदू है। वह जिसकी पूजा करता है, जो भी भाषा बोलता है, जिस भी जाति में पैदा होता है, जिस भी प्रांत का होता है, जो भी खान-पान और रीति-रिवाजों का पालन करता है। जिनके ये संस्कार हैं, जिनकी ये संस्कृति है, वे सभी हिंदू हैं।

आज संघ पर हर कोई विश्वास करता है

डॉ. भागवत ने कहा कि पहले संघ को कोई नहीं जानता था। अब सभी जानते हैं। पहले संघ पर कोई विश्वास नहीं करता था। आज सभी विश्वास करते हैं, यहां तक ​​कि जो हमारा विरोध करते हैं, वे भी। वे मुंह से हमारा विरोध करते हैं, लेकिन हमारे दिल से विश्वास करते हैं। इसलिए अब हमें राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जो भी करना है, हमें करना होगा। छोटी-छोटी चीजों से शुरुआत करें। पानी बचाएं, सिंगल प्लास्टिक हटा दें, पेड़ लगाएं, घर को ग्रीन होम बनाएं, घर में हरियाली पैदा करें और सामाजिक रूप से भी हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे।

पारिवारिक संस्कार को बचाना सबसे जरूरी

सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि भारत में भी पारिवारिक संस्कार खतरे में हैं। मीडिया के दुरुपयोग के कारण नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। इसलिए परिवार के सभी सदस्य सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर एक साथ बैठें। घर में अपनी श्रद्धा के अनुसार भजन पूजन करें, उसके बाद एक साथ घर का बना खाना खाएं। समाज के लिए भी कुछ करने की योजना बनाएं। इसके लिए परिवार के सभी सदस्यों को छोटे-छोटे संकल्प लेने चाहिए। घर के अंदर की भाषा, वेश-भूषा, भवन, भ्रमण और खान-पान आपका अपना होना चाहिए।

समाज सेवा उपकार नहीं हमारा कर्तव्य

इस तरह से परिवार प्रबोधन करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे घर में स्वदेशी से लेकर स्वाभिमान तक सभी चीजें हैं, उनका प्रबोधन करना होगा। जो हमारे देश में बनता है, उसे विदेश से नहीं खरीदना चाहिए और अगर जीवन के लिए जरूरी है, तो उसे अपनी शर्तों पर खरीदना चाहिए। इसके साथ ही अपने जीवन में मितव्ययिता को अपनाना होगा। समाज सेवा के कार्यों में समय लगाएं। यह समाज पर उपकार नहीं, हमारा कर्तव्य है, इस बात का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि नागरिक अनुशासन हमारा होना चाहिए। हम इस देश के नागरिक हैं। हमारे अंदर नागरिकता का भाव होना चाहिए। संघ की दृष्टि से अलवर शहर के समागम में चार उपनगरों की 40 बस्तियों से 2842 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।

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मातृ स्मृति वन में किया गया वृक्षारोपण

सभा कार्यक्रम के बाद डॉ. भागवत पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने भूरासिद्ध स्थित मातृ स्मृति वन पहुंचे, जहां उन्होंने वृक्षारोपण किया। इस दौरान केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, प्रदेश वन मंत्री संजय शर्मा, अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण कुमार जैन, क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल, क्षेत्र प्रचारक निंबाराम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्रीवर्धन, क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री, क्षेत्र सह कार्यवाह गेंदालाल और क्षेत्र प्रचारक प्रमुख डॉ. महावीर कुमावत समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

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