पुणे: अतीत की धरोहर को सहेजना आज के दौर में न केवल कठिन, बल्कि महंगा सौदा साबित होता है। पर, जिन्हें इससे जुड़ाव और लगाव होता है, वे हर कीमत पर इनको संजोकर रखते हैं। महाराष्ट्र के ख्यात हिल स्टेशन लोनावला जाने पर एक व्यक्ति के जुनून, जज्बे और जोश से तैयार इस थाती को देखकर आप स्वतः समझ जाएंगे कि बेजान वस्तुओं को भी जीवंत रखा जा सकता है। लोनावाला के रमेश सिंह व्यास (राजपुराेहित) ने पूर्वजों से मिली सौगातों, उपहारों, अनमोल धरोहरों को संभाल कर रखा है।
चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि पूरा परिवार इन्हीं धरोहरों के बीच रहता है। इतना ही नहीं, दुर्लभ और अनूठी वस्तुएं आज भी इस्तेमाल की जाती हैं। व्यास ने बताया कि इस संग्रह की प्रेरणा उन्हें पिता देवीशंकर व्यास से विरासत में मिली। बातचीत के दौरान व्यास ने चुटकी लेते हुए कहा कि व्यक्ति की आमदनी अमेरकन जैसी हो, घर ब्रिटिशियर जैसा हो, घर में भारतीय नारी हो तथा भोजन जापानी जैसा हो तो इंसान लंबी आयु जीता है।
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राजस्थान में पाली जिले के बोया गांव से लोनावला आकर बसे व्यास परिवार के रमेश भाई ने पूर्वजों से विरासत में मिली ऐतिहासिक चीजों के महत्व को पहचाना। लोनावला आने वाले सभी पर्यटकों को उनकी इस नायाब सोच के बारे में जानकारी मिलती है तो वे स्वयं को रोक नहीं पाते। वे भी किसी को निराश नहीं करते और गौरवशाली इतिहास से सबको रूबरू करवाते हैं। किसी से कोई शुल्क तक नहीं लेते। दशकों पहले राजस्थान से दूर रहने के बावजूद वहां की माटी की सुगंध कभी फीकी नहीं पड़ी। घर और कारोबार के साथ पूरे परिवार के सदस्यों में राजस्थान का पूरा असर मिलता है।
न परम्परा बदली, न शौक-पहनावा –
दरबार और राजघरानों का दौर बीतने के बावजूद रमेश सिंह व्यास ने पूर्वजों की परम्परा को नहीं बदला। वे आज भी उसी तौर-तरीकों के साथ जीने, पहनावा धारण करने, विंटेज कारों के साथ बग्घी चलाने और संग्रहित एंटीक वस्तुओं का उपयोग करने में यकीन करते हैं। अक्सर खास मौकों और समारोहों में शाही पोशाक और आभूषण पहनकर जाते हैं।
एक से बढ़कर एक एंटीक चीजें –
अंग्रेजों से खरीदे गए हेरिटेज भवन में रमेश सिंह परिवार के साथ रहते हैं। घर में ही विदेशी विंटेज कारें, विंटेज बैलगाड़ियां, घोड़ा गाड़ियां, अनोखी पेंटिंग, सोना-चांदी, जवाहरात से जड़े आभूषण, फर्नीचर, पियानो, ग्रामोफोन, घड़ियां, शस्त्र, लाइब्रेरी, टाइपराइटर, टेलीफोन, केरोसिन पंखे, लैंप, क्राकरी, इत्र, कांच के बर्तन, रेडियो, ग्लोब, कैमरे, दूरबीन, छड़ियां, कटारें, तलवारें आदि शामिल हैं।
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