खतौली विधानसभा सीट पर जल्द होगा उपचुनाव, विक्रम सैनी की सीट पर रालोद की निगाहें

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मेरठः भड़काऊ भाषण देने के मामले में खतौली के भारतीय जनता पार्टी के विधायक विक्रम सैनी को दो साल की सजा मिलने से उनकी विधायकी चली गई। लेकिन अभी तक खतौली सीट पर उप चुनाव की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन विक्रम सैनी की सदस्यता जाने से भाजपा में खलबली मची हुई है। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने खतौली सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। कवाल कांड के समय भड़काऊ भाषण देने पर विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने खतौली के विधायक विक्रम सैनी को दो साल की सजा सुनाई। इसके बाद रामपुर के विधायक आजम खान को भी बदजुबानी करने पर कोर्ट ने तीन साल कैद सुनाई। सजा मिलने के तत्काल बाद विधानसभा सचिवालय से आजम खान की विधायकी खत्म करके रामपुर सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया। जबकि विधायक विक्रम सैनी की सीट को रिक्त घोषित नहीं किया गया।

रालोद विधायक ने उठाया मुद्दा
इस पर रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने विक्रम सैनी को दो साल की सजा होने के बाद भी विधायकी खत्म नहीं होने के मुद्दे को उठा दिया और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत सदस्यता रद्द करने की मांग की। इसके बाद विक्रम सैनी ने जयंत चौधरी पर पलटवार करते हुए उन्हें जनप्रतिनिधित्व कानून की जानकारी नहीं होने की बात कह दी। मामले के तूल पकड़ने के बाद विधानसभा सचिवालय से विक्रम सैनी की सदस्यता समाप्त करने की पुष्टि कर दी। विक्रम सैनी की विधायकी जाते ही भाजपा नेताओं में खलबली मच गई है। अब खतौली विधानसभा सीट पर उप चुनाव होगा। ऐसे में इस सीट पर दोबारा से कब्जा करना भाजपा के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।

विक्रम सैनी लगातार कर रहे हमला
विधायकी जाने के बाद भी विक्रम सैनी के तेवर कमजोर नहीं पड़े। वह लगातार रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी पर हमला कर रहे हैं। विक्रम ने तो जयंत चौधरी को मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने की चुनौती देते हुए जमानत जब्त कराने की चेतावनी तक दे डाली है। इस चुनौती को रालोद अध्यक्ष ने गंभीरता से लिया है और खतौली सीट को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। अब रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने 15 नवम्बर को खतौली में रोड शो करने का ऐलान किया है। इससे राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा नेताओं को भी विक्रम सैनी के भड़काऊ बयान रास नहीं आ रहे हैं।

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लगातार बयानवीर बने हुए हैं विक्रम सैनी
कवाल गांव के प्रधान पद से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले विक्रम सैनी 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में जेल गए। उन पर रासुका भी लगाया गया। 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने विक्रम सैनी को खतौली से चुनाव मैदान में उतारा और वे विधायक बन गए। इसके बाद से ही विक्रम सैनी लगातार बयान देते आ रहे हैं। इस कारण वह विवादों में भी घिरे रहते हैं। उन्हें बयानवीर भी कहा जाने लगा है। 2022 में फिर से टिकट मिलने पर विक्रम सैनी खतौली से दोबारा विधायक बन गए। अब अपनी जुबान के कारण ही वे विधायकी खो चुके हैं, लेकिन उनके तैवर अभी भी कम नहीं हो रहे हैं।

खतौली उप चुनाव में होगी टक्कर
चुनाव आयोग ने अभी खतौली में उप चुनाव की घोषणा नहीं की है, लेकिन उप चुनाव होने पर भाजपा और रालोद-सपा गठबंधन के बीच सीधी टक्कर होनी तय है। भाजपा नेताओं के बीच अभी से ही टिकट को लेकर रस्साकसी होने लगी है तो रालोद-सपा से भी टिकट पाने के दावेदार कम नहीं है।

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