नई दिल्लीः प्रतिभाएं उम्र की मोहताज नहीं होतीं.. खासकर खेल के मामले में ये पंक्ति अक्सर सच साबित होती है। भारत युवाओं का देश है और यहां युवा प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत है तो बस उसे सही दिशा देने की। उम्र से परे हुनर के बेहतरीन प्रदर्शन का उदाहरण उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में देखने को मिला है। हम यहां बात कर रहे हैं ऋषिका रयान (Rishika Rayan) की…जिनके नाम दस साल की छोटी सी उम्र में कराटे के खेल में राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुल 19 पदक हैं।
अपनी मां को दिया इस उपलब्धि का श्रेय
कराटे के खेल में महारत हासिल करने के लिए तीन साल की उम्र से खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रशिक्षित करने वाली ऋषिका का कहना है कि वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना उनके लिए बहुत सम्मान की बात है। मीडिया से बातचीत करते हुए, ऋषिका (Rishika Rayan) ने कहा, “कुमिते और काटा दोनों में स्वर्ण पदक जीतना एक सपना सच होने जैसा है, और मैं इस उपलब्धि का श्रेय अपनी मां अलका के. और पिता डॉ. अभिषेक के. को देती हूं। मैं अपना अटूट समर्थन देती हूं।” कोच अरविंद यादव और मेरे साथी देशवासी। यह जीत भारत के भीतर मौजूद प्रतिभा और क्षमता का प्रमाण है।
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ऋषिका ने आगे कहा, “मैं वाराणसी को एक रहने योग्य और सुरक्षित शहर में बदलने के प्रयासों के बीच राज्य की बेटियों के सशक्तिकरण और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की भी आभारी हूं।” ऋषिका की एक असाधारण उपलब्धि, उनकी जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक है, बल्कि देश भर के महत्वाकांक्षी एथलीटों के लिए प्रेरणा की किरण भी है। उनका असाधारण प्रदर्शन प्रतिभा को निखारने और कराटे के क्षेत्र को वैश्विक मंच पर बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
2023 कराटे चैंपियनशिप में ऋषिका की ऐतिहासिक जीत
2023 कराटे चैंपियनशिप में ऋषिका की ऐतिहासिक जीत ने उनका नाम खेल इतिहास के इतिहास में दर्ज कर दिया है। कुमाइट और काटा दोनों में उनकी असाधारण उपलब्धियां उनके अटूट समर्पण, कोच अरविंद यादव के तहत वर्षों के कठोर प्रशिक्षण और मार्गदर्शन और उत्कृष्टता की अथक खोज को दर्शाती हैं और अपने भविष्य के प्रयासों का बेसब्री से इंतजार करती हैं क्योंकि वह कराटे के खेल को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं।
17 नवंबर 2013 को जन्मी ऋषिका (Rishika Rayan) ने महज 3 साल की उम्र में कराटे की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी। यहां तक कि जब ऋषिका के पिता बेंगलुरु में नौकरी करते थे, तब भी उन्होंने ऋषिका को कराटे ट्रेनिंग के लिए वाराणसी में ही रहने की इजाजत दी थी। ऋषिका के कोच अरविंद यादव ने कहा, “ऋषिका ने अब तक जो कुछ भी हासिल किया है, उसमें उसके माता-पिता का बड़ा योगदान है। माता-पिता की सहायता के बिना बच्चे आगे नहीं बढ़ सकते। प्रशिक्षक अपना काम करेगा और समाज अपना काम करेगा, लेकिन जब तक माता-पिता बच्चे की जीत या हार में साथ नहीं खड़े होंगे और उसे अनुशासित नहीं करेंगे, तब तक बच्चा लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगा।
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