देश की प्रतिष्ठापरक परीक्षाओं में शुमार राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक 2024 (NEET UG exam) में बड़े पैमाने पर अनियमितता, कदाचार और धोखाधड़ी की शिकायतों की जांच का दायित्व सीबीआई को सौंप दिया गया है। 22 जून को सरकार की ओर से आदेश मिलते ही सीबीआई ने बिहार, गुजरात, झारखंड और महाराष्ट्र में दोषियों के विरुद्ध ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुये राज्यवार अलग- अलग मामलों की प्राथमिकी दर्ज करके पूछताछ और गिरफ्तारियां कर रही है।
चौंकाने वाला था परिणाम
जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार पेपर लीक के तार बिहार, झारखंड से लेकर गुजरात और महाराष्ट तक फैले हैं। पेपर लीक का सबसे पहले भंडाफोड़ करने वाली बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध ईकाई (ईओयू) हजारीबाग के ओयसिस स्कूल को ही पेपर लीक का केन्द्र मान रही है। इस बार नीट यूजी परीक्षा का आयोजन 5 मई को देश के 571 जिलों के 4750 परीक्षा केन्द्रों पर किया गया था, जिसके लिए 24 लाख से अधिक बच्चों ने आवेदन किया था, लेकिन लगभग 23.33 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल हुये थे। परीक्षा का परिणाम नियत तिथि से 10 दिन पूर्व 4 जून को घोषित कर दिया गया। इस बार परीक्षा परिणाम कुछ मामलों में चौकाने वाला था, क्योंकि 67 बच्चे ऐसे थे, जिन्होंने शत प्रतिशत स्कोर किया था अर्थात उन्हें 720 में 720 अंक मिले थे। इसके अतिरिक्त शत-प्रतिशत अंक पाने वाले बच्चों में 6 बच्चे हरियाणा राज्य के झज्जर जिले के एक ही सेंटर के थे।
नीट परीक्षा से जुड़े लोगों के लिए यह असामान्य परिणाम था। एक और तथ्य ने परीक्षा परिणाम पर संदेह पैदा कर दिया। दरअसल कुछ छात्रों को 720 में 718 या 719 अंक मिले थे। तकनीकी रूप से यह सम्भव नहीं था क्योंकि प्रत्येक सही जबाब पर 4 अंक मिलने थे और गलत करने पर एक अंक की कटौती होनी थी। ऐसे में किसी बच्चे को 715 या 716 अंक ही मिल सकते थे। परीक्षा परिणाम में दिखी इन अनियमितताओं ने बच्चों के साथ ही विशेषज्ञों को भी हैरान कर दिया और तमाम लोग परीक्षा एजेंसी “नेशनल टेस्टिंग एजेंसी’’ को ई-मेल करके स्पष्टीकरण मांगे। आखिरकार एनटीए ने बताया कि मेघालय, हरियाणा, छत्तीसगढ़, सूरत और चंडीगढ़ के कम से कम छह केन्द्रों के छात्रों ने परीक्षा के दौरान निर्धारित समय न मिलने की शिकायत की थी।
पूछताछ में हुए खुलासे
इन स्थानों पर छात्रों को अलग-अलग कारणों जैसे गलत प्रश्न पत्र का वितरण, फटी हुई ओएमआर शीट या ओएमआर शीट के वितरण में देरी के कारण प्रश्नपत्र हल करने के लिए पूरे तीन घंटे 20 मिनट का समय न मिल पाने के कारण 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क दिये गये हैं। बिना किसी पूर्व प्राविधान के इतने बच्चों को ग्रेस मार्क दिये जाने की स्वीकारोक्ति तथा बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 05 मई की परीक्षा से पहले पेपर लीक के खुलासे और 04 अभ्यर्थियों सहित कुल 13 लोगों की गिरफ्तारी ने छात्रों को परीक्षा में हुई तमाम अनियमितताओं के विरुद्ध आन्दोलन के लिए बाध्य कर दिया। बिहार पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में कहा गया था कि पुलिस ने पेपर लीक की गोपनीय सूचना पर परीक्षा वाले दिन 05 मई को अपरान्ह में तीन अभियुक्तों, सिकन्दर प्रसाद, अखिलेश कुमार और बिट्टू कुमार को गिरफ्तार करके पूछतांछ की तो पता चला कि नीट यूजी परीक्षा के एक दिन पहले 04 मई को राजधानी पटना के लर्न ब्वायज हॉस्टल एंड प्ले स्कूल को छात्रों को रटवाया गया था। शाम को ही छा़त्रों को नीट परीक्षा का पेपर उत्तर सहित उपलब्ध करा कर रटवाया गया।
उनमें से कुछ पटना के अलग-अलग केन्द्रों पर परीक्षा दे रहे हैं। अभियुक्तों के पास से 04 छा़त्रों के प्रवेश पत्र भी बरामद हुये। पुलिस ने तत्काल कार्यवाही करते हुए दो दिन में 04 अभ्यर्थियों सहित कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने छात्रावास से अधजले पेपर भी बरामद किये। इन अभ्यर्थियों से 20 से 30 लाख की रकम वसूल किये जाने की बात सामने आयी हैं, क्योंकि कुछ पोस्ट डेटेड चेक भी अभियुक्तों के पास से बरामद हुआ। अब सीबीआई पुलिस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही कर रही है। पेपर लीक मामले में मिले सुराग के आधार पर बिहार पुलिस ने झारखंड के हजारीबाग जिले के ओयसिस स्कूल के प्रधानाचार्य और अन्य जिम्मेदारों से पूछताछ की थी।
अब सीबीआई ने भी परीक्षा के दिन कॉलेज में मौजूद रहे 11 जिम्मेदार लोगों से पुछताछ करके प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल, पटना के छात्रावास से मिले अधजले पेपर का सीरियल नम्बर ओयसिस स्कूल का था। सीबीआई स्कूल की भूमिका के साथ ही प्रिंसिपल और गिरफ्तार अभियुक्त चिंटू कुमार के तार जोड़ना चाह रही है। सीबीआई की विशेष टीमें गुजरात के गोधरा और महाराष्ट्र के लातूर में भी छापेमारी करके दोषियों की कुंडली खगाल रही है। दूसरी तरफ नीट यूजी परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण ने सरकार की खूब किरकिरी करायी, क्योंकि एनटीए परीक्षा के पेपर लीक या नकल के आरोप को लगातार नकारती रही। शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान एनटीए अफसरों की भाषा बोलते रहे। मामला सर्वोच्च अदालत पंहुचा तो एनटीए को बैकफुट पर आना पड़ा और बिना किसी आदेश के एनटीए ने सर्वोच्च अदालत को ग्रेस मार्क वापस लिये जाने के अपने निर्णय से अवगत कराया।
छात्रों द्वारा अदालत से सीबीआई जांच कराये जाने की मांग की गई तो उस पर भी हीला हवाली होती रही। इस सम्बंध में दायर याचिका पर सर्वोच्च अदालत में 08 जुलाई को सुनवायी होनी थी, लेकिन इसी बीच बिहार पुलिस की जांच रिपोर्ट और छात्रों द्वारा उपलब्ध कराये गये सबूतों से सरकार को आभास हो गया कि नीट परीक्षा में व्यापक स्तर पर धांधली हुई है और 24 लाख छात्रों के साथ धोखा किया जा रहा है। पेपर लीक, नकल, फर्जीवाड़ा जैसी शिकायतों के बाद एक ओर छात्र तो दूसरी ओर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गये हैं। सड़क से संसद तक केवल नीट परीक्षा की धांधली ही सुर्खियों में बनी रहने से सरकार को कई कठोर कदम उठाने को बाध्य होना पड़ा। शिक्षा मंत्रालय ने 18 जून को एनटीए द्वारा आयोजित यूजीसी नेट परीक्षा के पेपर डार्कनेट पर उपलब्ध होने की सूचना पर परीक्षा रद्द करते हुए उसकी जांच सीबीआई को सौंप दी, जबकि 23 जून को होने वाली नीट परीक्षा को कुछ घंटे पहले स्थगित करने की घोषणा की।
21 जून को सरकार ने पेपर लीक मामलों में अंकुश लगाने के लिए सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोक थाम) अधिनियम 2024 को अधिसूचित कर दिया। यह कानून इसी साल फरवरी 2024 में संसद से पारित हुआ था। इस अधिनियम के अन्तर्गत दोषी पाये जाने वाले के विरुद्ध 10 साल की सजा और एक करोड़ के जुर्माने का प्राविधान है। 22 जून को शिक्षा मंत्रालय द्वारा नीट परीक्षा में पेपर लीक, अभ्यर्थियों के कदाचार, संस्थानों और बिचौलियों की साजिश, धोखाधड़ी, फर्जी अभ्यर्थी, विश्वास के उल्लघन और सबूतों को नष्ट करने सहित अन्य अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया उनके स्थान पर सेवानिवृत्त आईएएस प्रदीप सिंह खरोला को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई। एनटीए की प्रवेश परीक्षाओं की प्रक्रिया को विश्वसनीय और पारदर्शी बनाने के लिए एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति का अध्यक्ष इसरो के पूर्व प्रमुख डा0 राधाकृष्णन को बनाया गया है। शिक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि गठित समिति दो माह के अंदर अपनी रिर्पोट मंत्रालय को सौंपेगी।
एनटीए की भूमिका पर सवाल
नीट यूजी परीक्षा में हुई गड़बड़ी मामले में एनटीए अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध जान पड़ती है। बिहार पुलिस ने पेपर लीक का भंडाफोड़ करने के बाद एनटीए के अधिकारियों को मामले से अवगत कराते हुए कुछ अभिलेख मांगे थे, लेकिन वह उन्हें समय पर नहीं दिये गये। छात्रों के प्रदर्शन के बाद भी बिहार पुलिस की कार्यवाही को छिपाया जा रहा था, तभी तो मंत्री ने कहा कि पेपर लीक नहीं हुये हैं। अब केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने भी स्वीकार किया है कि नीट यूजी परीक्षा में हुई गड़बड़ी मामले में शीर्ष अधिकारी सवालों के घेरे में है।
माना जा रहा है कि अधिकारियों के इस कारनामें से सीबीआई भी भिज्ञ है और उसके राडार पर एनटीए प्रमुख प्रदीप कुमार जोशी सहित 10 अधिकारी हैं। सीबीआई अब यह भी पता लगायेगी कि 2023 में किस कारण राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) से आउट सोर्सिंग का कार्य वापस लेकर दूसरी ईकाई को दिया गया। इतना ही नहीं बहुत सारे सवाल एनटीए की कार्यप्रणाली को लेकर उठ रहे हैं, जिसका जबाब अब जांच एजेन्सी को देना होगा। फिलहाल मामले में सरकार और सीबीआई दोनों अपनी ओर से तत्पर दिखायी पड़ रहे हैं। सीबीआई के शिकंजे में आने वाले हर अभियुक्त से मिल रही जानकारी यह आभास करा रही है कि पेपर लीक से लेकर कदाचार तक के मामलों का जाल कई राज्यों में फैला हुआ है, जिसे तोड़ना एक बड़ी चुनौती है।
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दूसरी ओर पीड़ित छात्रों की ओर से नीट यूजी परीक्षा दुबारा कराने के लिए सरकार पर दबाब बनाया जा रहा है। इस आशय की कई याचिकायें सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई है, जिस पर 8 जुलाई को सुनवायी होनी है। यद्यपि उससे पहले 6 जुलाई से काउंसिल भी शुरु हो रही है। फिलहाल दिन प्रतिदिन बदलते घटनाक्रम में आगे क्या होगा ? यह कहना मुश्किल है। सम्भव है सुनवायी से पूर्व सरकार ही कोई निणर्य स्वयं ले ले। सीबीआई जांच का निर्णय उदाहरण है। अन्यथा सारे घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में सर्वोच्च अदालत के निर्णय की लोगों को प्रतीक्षा है।
हरि मंगल
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