Tuesday, December 17, 2024
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महाकालेश्वरः धूमधाम से निकली महाकाल की सवारी, भगवान ने पांच रूपों में दिए दर्शन

 

उज्जैन: श्रावण-भादौ माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में आज श्रावण माह के पांचवें सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की सवारी धूमधाम से निकाली गई। इस दौरान बाबा महाकाल (Mahakala) ने भक्तों को पांच स्वरूपों में दर्शन दिए। पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव और नंदी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होलकर राज्य के मुखारविंद पर विराजमान अवंतिकानाथ ने अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण किया। भगवान महाकाल की सवारी में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन कर पूजन का लाभ उठाया।

सवारी निकलने से पहले हुई पूजा

सोमवार को दोपहर 3.30 बजे महाकालेश्वर मंदिर से सवारी निकलने से पहले सभामंडप में सबसे पहले भगवान चंद्रमौलेश्वर का षोडशोपचार पूजन किया गया। इसके बाद भगवान की आरती की गई। मुख्य पुजारी पं. पूजन-अर्चन घनश्याम शर्मा ने कराया। सवारी निकलने से पहले सभा कक्ष में कलेक्टर एवं महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कुमार पुरूषोत्तम, पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज, महापौर मुकेश टटवाल, विधायक पारसचंद्र जैन, नगर निगम अध्यक्ष कलावती यादव, नगर निगम आयुक्त रोशन सिंह, महाकालेश्वर मंदिर परिसर का। अपर कलेक्टर एवं प्रशासक संदीप सोनी, मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य पुजारी प्रदीप गुरु, राजेंद्र शर्मा ‘गुरु’, राम पुजारी आदि ने भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन किया और आरती में भाग लिया। इस दौरान सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, प्रतीक द्विवेदी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी आदि मौजूद रहे।

पालकी में सवार होकर निकले भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर

पूजा-अर्चना के बाद भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले। जैसे ही पालकी श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में सवार श्री चंद्रमौलेश्वर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। सवारी मार्ग में जगह-जगह खड़े भक्तों ने जय श्री महाकाल के जयकारों के साथ उज्जैन नगरी के राजा भगवान श्री महाकालेश्वर पर पुष्प वर्षा की। सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्शी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंची। यहां भगवान महाकाल का शिप्रा जल से अभिषेक एवं पूजन किया गया। पूजा-अर्चना के बाद सवारी परिवर्तित मार्ग से महाकालेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई।

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