न्यूयॉर्कः कोविड-19 से बचाव के मौजूदा टीकों की सेलुलर प्रतिरक्षा पर किए गए एक शोध में पुष्टि हुई है कि ये टीके कोविड के ओमिक्रोन स्वरूप से लड़ने में काफी असरदार हैं। फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, शोध फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन के कोविड शॉट्स पर केंद्रित था। शोध में पता चला कि मौजूदा टीके कोविड के गंभीर संक्रमण से रक्षा करने में सक्षम हैं, भले ही नए वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं उतनी मजबूत या टिकाऊ न हों।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने शोध की रिपोर्ट में लिखा है, “इन आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा टीके एंटीबॉडी प्रतिक्रियाओं को बेअसर करने में पर्याप्त रूप से सक्षम न होने के बावजूद सार्स-कोव-2 ओमिक्रोन वैरिएंट से गंभीर संक्रमण से बचाव में काफी सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।”
पिछले सबूत बताते हैं कि ओमिक्रोन के खिलाफ मौजूदा टीके लगाए जाने पर एंटीबॉडी प्रतिक्रिया खो देते हैं। एक तीसरा शॉट कम से कम आंशिक रूप से उस एंटीबॉडी सुरक्षा को पुनस्र्थापित करता है, और इसलिए देश नए प्रतिबंधों से बचने के लिए अपने बूस्टर कार्यक्रमों को बढ़ा रहा है। ये टीके गंभीर बीमारी से बचाव में कारगर हैं। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि वे नए शोध में निहित सबूतों की बारीकी से जांच करेंगे, ताकि यह तय किया जा सके कि ओमिक्रोन-लक्षित टीके वास्तव में असरदार हैं।
दक्षिण अफ्रीका, बिटेन और अमेरिका में हुए शोधोंके शुरुआती निष्कर्ष बताते हैं कि ओमिक्रोन तेजी से फैलता है, लेकिन पिछले वैरिएंट की तुलना में यह हल्का प्रतीत होता है। हालांकि, अभी तक इसका कारण स्पष्ट नहीं है। दुनिया के अधिकांश लोग इससे संक्रमित हो गए हैं और बचाव के लिए उन्हें टीका लगाया गया है।
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हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा है कि असमान वैक्सीन कवरेज से दुनियाभर में स्वास्थ्य प्रणाली दबाव में आ जाती है, क्योंकि संक्रमित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बार-बार टीकों के अधिक समान वितरण का आह्वान किया है। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने 2022 के मध्य तक सभी देशों में 70 प्रतिशत वैक्सीन कवरेज का लक्ष्य रखा है।
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