Republic Day 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से जुड़े सरकार के विशेष प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे सुशासन को नया आयाम मिलेगा। उन्होंने महाकुंभ को भारत की समृद्ध विरासत की अभिव्यक्ति भी बताया और कहा कि वर्तमान में हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को पुनर्जीवित करने के लिए कई प्रयास चल रहे हैं।
संविधान हमें एक परिवार की तरह पिरो कर रखता हैः राष्ट्रपति
राष्ट्र के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ जैसे सुधारों के लिए दूरदर्शिता और साहस की आवश्यकता होती है। इस संबंध में संसद में विधेयक पेश किया गया है। इससे शासन में स्थिरता आएगी। नीतिगत पक्षाघात रुकेगा, संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और वित्तीय बोझ कम होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में संविधान और चुनाव प्रक्रिया की 75 साल की यात्रा का उल्लेख किया और कहा कि इस दौरान सोए हुए भारत की आत्मा फिर से जागी है और विश्व समुदाय में अपना उचित स्थान पाने के लिए आगे बढ़ी है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में सभी समुदायों और भागों का प्रतिनिधित्व था। जब महिला सशक्तीकरण एक दूर का आदर्श था, तब महिलाओं ने हमारे राष्ट्र के भाग्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Republic Day 2025: पर्यावरण संरक्षण से दुनिया को मिल रही सीख
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार के दूरदर्शी आर्थिक सुधारों और उनके माध्यम से प्राप्त प्रगति का उल्लेख किया और कहा कि सरकार समावेशी विकास को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने लोक कल्याण को नई परिभाषा दी है और आवास और पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को अधिकार माना है। पिछड़े वर्गों का डिजिटल समावेशन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत को 1947 में आजादी मिल गई थी, लेकिन अब औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
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इस संबंध में उन्होंने तीन नए आपराधिक कानूनों का उल्लेख किया। उन्होंने भारतीय भाषाओं के संरक्षण और उसमें शोध कार्यों को बढ़ावा देने के प्रयासों और खेल, अंतरिक्ष और साइबर भौतिक प्रणालियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारत के बढ़ते कदमों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत वैश्विक स्तर पर दुनिया के लिए एक मिसाल बन रहा है। मिशन लाइफ के जरिए भारत ने दुनिया को संदेश दिया है। एक पेड़ मां के नाम अभियान के जरिए देश में 80 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य समय से पहले हासिल किया गया है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इन प्रयासों से दुनिया सीख सकती है।
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