Wednesday, January 8, 2025
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Homeउत्तर प्रदेशबॉडी वार्न कैमरे से लैस होगी रेड टीम, डीलिंग पर लगेगी लगाम

बॉडी वार्न कैमरे से लैस होगी रेड टीम, डीलिंग पर लगेगी लगाम

 

लखनऊः बिजली चोरी के मामलों में रेड टीम द्वारा डीलिंग करने का मामला उजागर होता रहता है। उपभोक्ताओं द्वारा बड़े पैमाने पर इसकी शिकायतें भी की जाती हैं। हकीकत भी यही है कि बिजली चोरी के अधिकांश मामलों में रेड टीम डीलिंग कर अपनी जेब भरने का काम करती है।

अब इस पर अंकुश लगाने के लिए पावर कॉर्पोरेशन ने बड़ा कदम उठाया है। अब बिजली चोरी पकड़ने जा रही टीम को अपने साथ बॉडी वार्न कैमरा भी रखना होगा, ताकि कैमरे के जरिए बिजली चोरी अभियान की सारी रिकॉर्डिंग हो सके। इसके साथ ही टीम की जीपीएस ट्रैकिंग भी की जा सके।

गौरतलब है कि बिजली चोरी के अधिकांश मामलों में विजिलेंस टीम और विभागीय टीम द्वारा अक्सर खेल किए जाने के आरोप लगते रहते हैं। बीते दिनों ही आगरा में ऐसा ही मामला सामने आया था। उक्त प्रकरण में दोषी कर्मियों पर कार्रवाई भी की गई थी, वहीं उपभोक्ताओं की ओर से भी यह आरोप लगाए जाते रहते हैं कि उन्हें जबर्दस्ती बिजली चोरी में फंसाया जा रहा है। लम्बे समय से यह मांग उठती रही है कि विद्युत विभाग की विजिलेंस टीम व विभागीय जांच टीम को अनिवार्य रूप से बॉडी वार्न कैमरा दिया जाए, साथ ही कैमरे को जीपीएस से अटैच रखा जाए। जिससे उनके जांच के समय की पूरी रिकॉर्डिंग कैमरे में रिकॉर्ड हो जाए, वहीं जीपीएस सिस्टम के जरिए उसकी सतत मॉनिटरिंग की जाए।

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इससे अनाश्यक लेन-देन की संभावना बन ही न सके। अब पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह कदम उठाया है, जल्द ही प्रदेश की बिजली कम्पनियों व पावर कॉर्पोरेशन की विजिलेंस विंग पूरी तरह से बॉडी वार्न कैमरा और जीपीएस सिस्टम से लैस होगी। इसकी मॉनिटरिंग भी की जाएगी। इस कदम से डीलिंग जैसे मामलों पर काफी हद तक अंकुश लग सकेगा। आंकड़ों की मानें तो सभी बिजली कम्पनियों में सालाना 5,000 करोड़ से अधिक की बिजली चोरी हो रही है। रेड टीम सही से बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवाई करे, तो यह आंकड़ा काफी कम हो सकता है। विजिलेंस टीम की ओर से की जा रही कार्रवाई के बावजूद प्रभावी अंकुश न लग पाना अपने आप में बड़ा सवाल है।

गत दिनों ही जारी आंकड़ों के अनुसार, मध्यांचल डिस्कॉम में हर माह 82 करोड़ की बिजली चोरी हो रही है, वहीं प्रदेश भर में यह आंकड़ा 400 से 500 करोड़ है। बिजली चोरों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जाने के दौरान डीलिंग का खेल अधिक बढ़ जाता है। ऐसे अभियान से रेड टीम की कमाई कई गुना बढ़ जाती है और अभियान सिर्फ दिखावा साबित होता है। अभियान के दौरान रेड टीम का पूरा ध्यान बिजली चोरी के मामले में डीलिंग पर ही केंद्रित हो जाता है। इससे न तो बिजली चोरी पर अंकुश लग पाता है और न ही जांच के दौरान पकड़े गए सभी मामलों का राजस्व विभाग को मिल पाता है।

ये होंगे फायदे

• बिजली चोरी के अधिक मामले सामने आएंगे

• बेवजह उपभोक्ता परेशान नहीं होंगे

• पेनाल्टी का सही निर्धारण हो सकेगा

• बिजली चोरी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो सकेगी

• चेकिंग अभियान की नियमित मॉनीटरिंग हो सकेगी

• आखिर क्या कर रही है विजिलेंस, विभागीय जांच टीम

बिजली चोरी पर लगाम लगाने के लिए यूपीपीसीएल के पास बड़े पैमाने पर विजिलेंस टीम भी है। विजिलेंस बिजली चोरों के खिलाफ रेड करती रहती है, इसके बाद भी बिजली चोरी थम नहीं रही है। विजिलेंस के मुखिया अपर पुलिस महानिदेशक स्तर के अफसर हैं और कई पुलिस अधीक्षक सहित डिप्टी एसपी व इंस्पेक्टर भी काम कर रहे हैं। इसके साथ ही विभागीय जांच टीम भी है। ऐसे में यह सबका दायित्व है कि वह कोई गोपनीय सूचना मिलने अथवा खुद से कोई सूचना मिलने पर बिजली चोरी को पकड़ें और विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के प्रावधानों के अनुसार जरूरी कार्रवाई करें।

हालांकि, विजिलेंस और विभागीय जांच टीम रेड के नाम पर वसूली करने और उपभोक्ताओं का उत्पीड़न करने में ही लगी रहती है। इसके चलते ही बिजली चोरी के अधिकांश मामले सामने ही नहीं आते है। जिन मामलों में डील नहीं हो पाती, वही मामले उजागर किए जाते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में हर माह करीब 418 करोड़ की बिजली चोरी हो रही है, जबकि सालाना यह आंकड़ा 05 हजार करोड़ के करीब है।

आकड़ों पर एक नजर

• डिस्कॉम कुल रेड

• मध्यांचल 32,486

• पूर्वांचल 32,040

• दक्षिणांचल 46,618

• पश्चिमांचल 63,263

• केस्को 1,752

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