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लाल किला हमले में लशकर-ए-तैयबा के आतंकी मोहम्मद आरिफ की सज़ा बरकरार, SC ने पुनर्विचार याचिका की खारिज


नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने दिसम्बर 2000 के लाल किला हमले के मामले में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की मौत की सजा बरकरार रखी है। आरिफ की समीक्षा याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस यू.यू. ललित ने कहा, अदालत द्वारा लिए गए विचार की पुष्टि के बाद समीक्षा याचिका खारिज की जाती है।

पीठ में जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, मामले की संपूर्णता को देखते हुए, अशफाक का अपराध साबित होता है। मामले में विस्तृत आदेश बाद में अपलोड किया जाएगा। लाल किले पर हुए हमले में आर्मी के दो जवानों समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी। अगस्त 2011 में, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2000 के लाल किले पर हमले में गिरफ्तार लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोहम्मद आरिफ को फांसी की सजा सुनायी थी। शीर्ष अदालत ने बाद में अगस्त 2011 में उनकी समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया था। हालांकि, 2016 में, शीर्ष अदालत ने उनकी समीक्षा याचिका पर फिर से सुनवाई करने का फैसला किया।

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नवंबर 2005 में निचली अदालत ने आरिफ को मौत की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट ने हमले के लिए आरिफ पर 4.35 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2007 में आरिफ की मौत की सजा को बरकरार रखा था।

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