नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चलने वाली बैठक आज शुरू हो गई है। समिति की बैठक में लिए गए फैसलों के मुताबिक 6 अगस्त को भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति का ऐलान करेगा। माना जा रहा है कि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में भारतीय रिजर्व बैंक एक बार फिर नीतिगत ब्याज दरों को लेकर अपने रुख में कोई बदलाव नहीं करेगा और ब्याज दरें यथावत कायम रहेंगी।
जानकारों का कहना है की पिछली मौद्रिक नीति समिति की बैठक से लेकर अभी तक की अवधि में देश की अर्थव्यवस्था में कोई ऐसा बड़ा बदलाव नहीं हुआ है, जिसके कारण रिजर्व बैंक को नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़े। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सुब्रत गुहा का मानना है कि देश में महंगाई की ऊंची दर और अर्थव्यवस्था के विकास को लेकर बनी हुई अनिश्चितता के कारण भारतीय रिजर्व बैंक के नीति निर्धारक बेहतर संकेत मिलने तक स्थिति पर नजर बनाए रखना ज्यादा बेहतर समझेंगे।
ये बात इसलिए भी कही जा रही है, क्योंकि कोरोना संक्रमण के दूसरे दौर के थमने के बाद भले ही देश के कई हिस्सों में ग्रोथ में रिकवरी का दौर नजर आने लगा है, लेकिन इसी दौरान केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से कोरोना के मामले में तेज वृद्धि होने की भी खबरें भी आ रही हैं। ऐसे में देश में एक बार फिर पूरी तरह से आर्थिक गतिविधियों के खुलने और अर्थव्यवस्था के समग्र विकास को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बन गई है।
जानकारों का ये भी कहना है कि महंगाई की ऊंची दर, खासकर खाने पीने की चीजों की बढ़ी महंगाई के कारण भारतीय रिजर्व बैंक को महंगाई के अपने अनुमान में कुछ बढ़ोतरी करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जून के महीने में खुदरा महंगाई दर 6.26 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई दर के लिए 2 से 6 फीसदी तक का के स्तर को आदर्श स्तर माना है। ऐसे में फिलहाल खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय लक्ष्य से 0.26 फीसदी अधिक है। जानकारों का कहना है कि इस स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिश इस बात की भी होगी कि महंगाई दर को 6 फीसदी के दायरे में कैसे रखा जाए।
देश पर कोरोना की तीसरी लहर का खतरा लगातार बना हुआ है। ऐसी स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति अभी कोई भी बड़ा निर्णय लेने के पहले हालात पर नजर बनाए रखना ज्यादा बेहतर समझेगी। आईसीआईसीआई बैंक के चीफ प्लानर सुमंत दासगुप्ता के मुताबिक महंगाई के साथ ही रिजर्व बैंक की नजर देश के आर्थिक विकास पर भी टिकी हुई है। मौजूदा परिस्थितियों में देश के ग्रोथ आउटलुक में किसी भी तरह का मतलब कर पाना संभव नहीं है। लेकिन अगर इस दिशा में ध्यान नहीं दिया गया तो महंगाई के मोर्चे पर करारा झटका लग सकता है। ऐसी स्थिति में मौद्रिक नीति समिति नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव कर कोई जोखिम लेना पसंद नहीं करेगी।
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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शुक्रवार को नीतिगत ब्याज दरों की घोषणा करेंगे। ऐसे में सब की नजर इस बात पर भी टिकी रहने वाली है कि 2 दिन बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर नीतिगत ब्याज दरों को लेकर क्या ऐलान करते हैं। खासकर लोगों को होम या कार लोन जैसे कर्जों के मामले में किश्त के बोझ से कुछ राहत मिलती है, या फिर किश्त यथावत बने रहते हैं।