राहुल गांधी का बयान उकसाने वाला, अधीर रंजन चौधरी ने लगा रहे बेबुनियादी आरोप : रविशंकर प्रसाद

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Ravi Shankar Prasad

नई दिल्लीः सदन में मणिपुर पर चर्चा और अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के आरोपों पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar ) ने पलटवार किया। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस नेता ने बेबुनियाद आरोप लगाए हैं, संसद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए है, विपक्ष को अपनी बात रखनी चाहिए। लेकिन, यह भी जरूरी है कि वह सत्ता पक्ष की बात भी सुनें।

चौधरी ने कहा कि विपक्ष किसी की नहीं सुनता, पहले उन्होंने कहा कि पीएम को बुलाओ और जब प्रधानमंत्री मणिपुर पर बोल रहे थे तो विपक्ष ने नहीं सुनी, वॉकआउट कर दिया। प्रसाद ने कहा कि स्पीकर के पास जाएं और हंगामा करें, शोर मचाएं, किसी और को बोलने न दें और फिर आरोप लगाएं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है, यह विपक्ष का दोहरा चरित्र है। उन्होंने विपक्ष के आचरण को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि विपक्ष चर्चा के समय भाग जाता है।

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दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि राहुल गांधी का भाषण भड़काऊ था। उन्होंने बेहद आक्रामक शब्दों का इस्तेमाल किया और उनकी सोच लोकतांत्रिक नहीं है।’ राहुल पर हमला जारी रखते हुए प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी न तो देश को समझते हैं और न ही देश के हालात को समझते हैं।

उनके पूर्वज एक बार देश का बंटवारा कर चुके हैं। लेकिन, अब हम देश का दोबारा बंटवारा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी राहुल के भाषण को लेकर देशभर में जायेगी। प्रसाद ने राहुल गांधी पर सियासी हमला जारी रखते हुए आगे कहा कि राहुल गांधी अपनी काबिलियत से नहीं बल्कि अपने परिवार की कृपा से नेता बने हैं।

अधीर रंजन चौधरी के बयान पर किया पलटवार

अधीर रंजन चौधरी के बयान पर पलटवार करते हुए प्रसाद ने यह भी कहा कि वह किस कानून से कह रहे हैं कि अविश्वास प्रस्ताव के बाद कोई बिल नहीं लाया जा सकता, यह कहां लिखा है? उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का नियम कहता है कि जब अध्यक्ष इसकी अनुमति दे दें तो 10 दिन के भीतर कभी भी इस पर बहस हो सकती है। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को देश की जनता ने दूसरी बार पूर्ण बहुमत दिया है, क्या उसे काम नहीं करने दिया जायेगा? क्या वे (विपक्ष) संसद में बहस नहीं होने देंगे?

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