बिहार

हताशा में कर रहे ऐसी बात, विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं, संविधान समाप्त करने के बयान पर रविशंकर का कांग्रेस पर हमला

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पटना: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस और राजद के संविधान और आरक्षण खत्म करने के बयान पर दोनों दलों की आलोचना करते हुए कहा कि वे हताशा में ऐसा बयान दे रहे हैं। उनके पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए वो ऐसा कह रहे हैं।

लालू पर भी जमकर बोला हमला

पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 90 बार राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया, जिसमें से 50 बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति शासन लगाया। राम मंदिर आंदोलन के दौरान न सिर्फ यूपी बल्कि हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी सरकारें गिराई गईं। यह वही कांग्रेस है जिसने देश में आपातकाल लगाया था। उस दौरान लालू यादव भी जेल गये और आज कहते हैं कि संविधान खतरे में है।

उन्होंने कहा कि उस दौरान संपादकों को भी परेशान किया जाता था। आज कांग्रेस और राजद के लोग कह रहे हैं कि भाजपा सरकार में आयी तो संविधान बदल देगी। पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार 10 साल से सत्ता में है, लेकिन संविधान को नहीं छुआ गया। वहीं एनडीए ने ओबीसी संवैधानिक आयोग को संवैधानिक जिम्मेदारी दी। इतना ही नहीं तीन तलाक जैसे अभिशाप को बदला गया। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सशक्त बनाया। जब दलित समुदाय से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया गया तो आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को सर्वोच्च पद दिया गया।

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धर्म के आधार पर संविधान में आरक्षण नहीं 

उन्होंने कहा कि संविधान शाश्वत, स्थायी और सम्माननीय है। यही हमारा चरित्र है। अगर आज संविधान असुरक्षित है तो इसका कारण कांग्रेस और उसके सहयोगियों की सोच है। भाजपा शुरू से ही आरक्षण की पक्षधर रही है। देश में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण रहेगा, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। आज कर्नाटक में मुसलमानों को ओबीसी में शामिल किया जा रहा है। संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि आज जो योजनाएं बनती हैं वह किसी एक जाति या धर्म के लिए नहीं बनती हैं। आज मुस्लिम महिलाएं विमान उड़ा रही हैं। तीन तलाक की समाप्ति के बाद नया उत्साह है। ये हमारी सोच है। यह वोट बैंक की राजनीति के लिए योजनाएं तैयार करने वालों की सोच नहीं हो सकती। आज राहुल गांधी संपत्ति सर्वे कराने और क्रांतिकारी फैसला लेने की बात कर रहे हैं। इसमें राहुल गांधी की अपनी नहीं बल्कि माओवादी सोच हावी है।

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