गंगा सप्तमी पर अबकी बार बन रहा है रवि पुष्य योग, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्लीः गंगा मां का जन्मोत्सव पूरे भारत में वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन माता गंगा ब्रह्म लोक से ब्रह्मा के कमंडल से निकलकर, भगवान विष्णु के चरणों को धोती हुए भगवान आशुतोष की जटाओं में आई थी। गंगा जी उत्तर से दक्षिण की ओर जाती हैं। ये मात्र एक अमृत धारा इस धरा पर है, जोकि लाखों वर्षों से उत्तर से दक्षिण की ओर जाती है और समाप्त नहीं हुई। अन्यथा कोई भी नदी जो दक्षिण की ओर जाती थी वो समाप्त प्रायः हो गई है।

गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त
इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 7 मई (शनिवार) को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 8 मई (रविवार) को शाम 5 बजे होगा। वैशाख शुक्ल सप्तमी की उदयातिथि 8 मई को है। इसलिए गंगा सप्तमी शनिवार को मनाई जाएगी।

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पुष्य नक्षत्र में मनाया जाएगा मां गंगा का जन्मोत्सव
इस बार गंगा जी जन्मोत्सव पुष्य नक्षत्र और रविवार 8 मई को होगा, जोकि अमृत सिद्धि योग कहलाता है। इस दिन कोई भी औषधि यदि गंगा जल में बनाई जाती है वो अमृत का कार्य करती है और तुरंत लाभ देती है। इस दिन गंगा जी में से पत्थर लाकर जो घर में रखता है उसे पुत्र प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा जी में दूध चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यदि इस दिन श्री गंगा जी में दूध, नारियल, पेड़ा, फल वस्त्र चढ़ाने से धन, पुत्र, यश, संपति की प्राप्ति होती है। इसी दिन तीर्थ में रहने वाले तीर्थ पुरोहितों को गंगा पुत्र कहा गया था। ये ही गंगा जी के तीर्थ पर समस्त कर्म काण्ड करने के लिए अधिकृत किए गए थे। राजा भगीरथ के कथानुसार इन तीर्थ पुरोहितों से मिले बिना तीर्थयात्रा पूरी नहीं होती।

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