नई दिल्लीः भारतीय वायुसेना अब सीमा पर तैनात जवानों तक पैराशूट के जरिए राशन और लड़ाकू हथियार पहुंचाने की तैयारी कर रही है। सैन्य रसद क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए, वायु सेना ने शनिवार को एक मालवाहक विमान से स्वदेशी हेवी ड्रॉप सिस्टम (एचडीएस) का परीक्षण किया, जो पूरी तरह सफल रहा।
चुनिंदा देश ही इस तकनीक को आजमाया
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार, इस हेवी ड्रॉप सिस्टम को एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (Aerial Delivery System) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। यह एक विशेष सैन्य तकनीक है, जिसका उपयोग विभिन्न सैन्य आपूर्ति, उपकरण और वाहनों की सटीक पैरा-ड्रॉपिंग के लिए किया जाता है। इसे विकसित करने में पैराड्रॉप तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसे कुछ चुनिंदा देशों ने आजमाया है। एडीआरडीई ने क्रमशः तीन टन, सात टन और 16 टन के सैन्य कार्गो के विभिन्न वजन वर्गों को पूरा करने के लिए एएन-32, आईएल-76 और सी-17 जैसे परिवहन विमानों के लिए हेवी ड्रॉप सिस्टम के विभिन्न प्रकार डिजाइन किए हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, तीन टन और सात टन क्षमता वाले सिस्टम भारतीय सेना और भारतीय नौसेना के लिए बनाए गए हैं। IL-76 विमान के लिए हेवी ड्रॉप सिस्टम-P7 में एक प्लेटफॉर्म और पैराशूट असेंबली शामिल है। पैराशूट प्रणाली में पांच प्राथमिक कैनोपी, पांच ब्रेक शूट, दो सहायक शूट और एक एक्सट्रैक्टर पैराशूट होते हैं। प्लेटफ़ॉर्म एल्यूमीनियम और स्टील मिश्र धातुओं से बनी एक मजबूत धातु संरचना है, जिसका वजन लगभग 1,110 किलोग्राम है। लगभग 500 किलोग्राम वजनी पैराशूट प्रणाली भारी माल की सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करती है।
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16 टन तक वजन ले जाने में सझम
डीआरडीओ के मुताबिक, यह सिस्टम 7 हजार किलो लॉजिस्टिक्स लेकर 260-400 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से काम करता है। यह प्रणाली, जो आयुध कारखाने के पैराशूट का उपयोग करती है, मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अनुरूप है। हेवी ड्रॉप सिस्टम-16T को IL-76 हेवी लिफ्ट विमान के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह 16 टन तक वजन वाले सैन्य कार्गो की सुरक्षित और सटीक पैराड्रॉपिंग को सक्षम बनाता है। इसमें बीएमपी वाहन, आपूर्ति और गोला-बारूद शामिल हैं। इस स्वदेशी प्रणाली ने पिछले परीक्षणों में भी सभी इलाकों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। यह मैदानी इलाकों, रेगिस्तानों और ऊंचाई वाले इलाकों में उतर सकता है। यह सिस्टम अधिकतम 15 हजार किलोग्राम का पेलोड रख सकता है।
इससे पहले, ADRDE ने ही भारत के 75वें स्वतंत्रता समारोह के हिस्से के रूप में 500 किलोग्राम क्षमता (CADS-500) की नियंत्रित वायु वितरण प्रणाली का प्रदर्शन किया था। सिस्टम पूर्व-निर्धारित स्थानों पर 500 किलोग्राम तक के पेलोड की सटीक डिलीवरी के लिए रैम एयर पैराशूट (आरएपी) का उपयोग करता है। CADS-500 ने जीपीएस का उपयोग करके स्वायत्त रूप से अपना उड़ान पथ चलाया और सिस्टम को मालपुरा क्षेत्र में 5000 मीटर की ऊंचाई पर AN-32 विमान से पैरा-ड्रॉप किया गया। भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के ग्यारह पैराट्रूपर्स इसे ट्रैक करने के बाद एक साथ उतरे।
हेवी ड्रॉप सिस्टम से सीमाओं पहुंचेंगे हथियार
डीआरडीओ ने 2020 में चीनी सैनिकों के साथ गलवान झड़प के ठीक बाद हेवी ड्रॉप सिस्टम पी-7 का उन्नत संस्करण प्रदर्शित किया था। इस सत्यापन परीक्षण में, दो प्रणालियों को IL-76 विमान से 600 मीटर की ऊंचाई और 280 किमी प्रति घंटे की गति से गिराया गया। पांच बड़े पैराशूटों का उपयोग करके माल को सुरक्षित नीचे उतारा गया। इस प्रणाली से दूरदराज और दुर्गम इलाकों तक भी लड़ाकू हथियार पहुंचाकर सशस्त्र बलों की क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
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