Mauni Amavasya: मौनी अमावस्या पर बन रहा दुर्लभ संयोग, इस मंत्र का जाप कर करें स्नान-दान

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नई दिल्लीः माघ माह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस माह स्नान-दान के कई पर्व मनाये जाते हैं और इस दौरान पवित्र नदी में स्नान कर दान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस बार मौनी अमावस्या का पर्व 21 जनवरी (शनिवार) को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार जिस दिन सूर्य भगवान चंद्रमा के साथ मकर राशि में विराजमान होते है। उस दिन को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तर्पण करने से पितरों का विषेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मौनी अमावस्या के दिन बन रहा दुर्लभ संयोग
मौनी अमावस्या पर 30 साल बाद खास दुर्लभ संयोग बन रहा है। स्नान पर्व पर खप्पर योग बन रहा है। जिसमें धार्मिक कार्य और शनि से जुड़े कुछ उपाय को करने से श्रद्धालुओं को लाभ मिलता है। शनि हर ढाई साल में राशि परिवर्तन करते है। इस ढाई वर्ष की अवधि में शनि कभी मार्गी तो कभी वक्री अवस्था में चलते है। इस बार शनि ने मौनी अमावस्या से ठीक चार दिन पहले 17 जनवरी को राशि परिवर्तन किया है। इस वक्त शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान हैं। इसी वजह से मौनी अमावस्या एक अद्भुत और दुर्लभ संयोग में पड़ रही है। इस वक्त मकर राशि में सूर्य और शुक्र की युति है। साथ ही त्रिकोण की स्थिति में खप्पर योग का निर्माण कर रही है। जब भी इस प्रकार की युति बनती है तो अलग-अलग तरह के योग-संयोग बनते हैं।

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मौनी अमावस्या पर स्नान-दान की विधि
मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और प्रत्यक्ष देवता सूर्य देवता की पूजा का विधान है। हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है। मौनी अमावस्या को स्नान और दान का विशेष महत्व है। स्नान पर्व पर्व पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करने के बाद गंगा या पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। किसी कारण से ऐसा न हो पाने पर घर के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय ‘गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु’ मंत्र पढ़ते हुए चराचर जगत के पालनहार श्रीहरि भगवान विष्णु का ध्यान करें और मौन व्रत का संकल्प लें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनें और भगवान सूर्य को अर्घ्य जरूर दें। इसके बाद जरूरतमंदों को तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल इत्यादि का दान अवश्य करें। साथ ही सामर्थ्य अनुसार भोजन का भी दान करें।

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