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Rangbhari Ekadashi 2024: गौरा की विदाई के लिए ससुराल जाएंगे बाबा विश्वनाथ, काशीवासियों संग खेलेंगे होली

वाराणसीः महाशिवरात्रि पर भगवान भोले के विवाह के बाद रंगभरी एकादशी (Rangbhari ekadashi 2024) के दिन बाबा विश्वनाथ के साथ माता पार्वती के गौना की रस्म निभाई जाती है। इस दिन से बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस में होली की शुरुआत हो जाती है। दरअसल, रंगभरी एकादशी यानी अमला एकादशी का त्योहार काशी के लिए बेहद खास है, क्योंकि लोक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भोलेनाथ ने अपनी अर्धांगिनी माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत के लिए प्रस्थान किया था। यानी रंगभरी एकादशी का दिन माता पार्वती की विदाई का दिन है और काशी में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

गौना बारात लेकर अपनी ससुराल पहुंचेंगे बाबा विश्वनाथ

इस परंपरा का पालन काशी विश्वनाथ मंदिर का महंत परिवार पिछले 358 वर्षों से कर रहा है और आज विश्वनाथ मंदिर सहित महंत आवास एक बार फिर इस अद्भुत परंपरा का गवाह बनने जा रहा है। वहीं रंगभरी एकादशी की पूर्व संध्या पर मंगलवार को बाबा विश्वनाथ मां गौरा को विदाई के लिए गौना बारात लेकर अपनी ससुराल टेढ़ीनीम स्थित महंत डॉ. कुलपति तिवारी के आवास पहुंचेंगे। शाम को महंत आवास पर बाबा की रजत प्रतिमा का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया जाएगा। ये भी पढ़ें..Lathmar Holi 2024: राधारानी के बरसाने पहुंचे हुरियारों पर बरसीं प्रेम रस से भीगीं लाठियां

दूल्हे बाबा विश्वनाथ देवकिरीट सिर पर बाधेंगे

दूल्हे बाबा विश्वनाथ को फल और सूखे मेवे के साथ ठंडाई का भोग लगाया जाएगा। बाबा कोलकाता से लाई गई देवकीरित को भी अपने सिर पर बांधेंगे। काठियावाड़ से भेजे गए कपड़े पहनूंगा। इसके बाद गौना के अवसर पर टेढ़ीनीम महंत के आवास पर लोक एवं सुगम संगीत शिवांजलि का संक्षिप्त आयोजन भी किया जायेगा। अगले दिन रंगभरी एकादशी पर सुबह काशी विश्वनाथ के साथ मां गौरा की चल प्रतिमा को पंचगव्य और पंचामृत से स्नान कराया जाएगा।

आज शाम पांच बजे निकलेगी बारात

दुग्धाभिषेक की प्रक्रिया पंडित वाचस्पति तिवारी एवं संजीव रत्न मिश्र संपन्न करायेंगे। इस दौरान सुबह 5 बजे 11 ब्राह्मण षोडशोपचार विधि से पूजा-अर्चना करेंगे। फिर बाबा को फल चढ़ाने के बाद महाआरती होगी। महाआरती के बाद महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती के दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू होगा। यह क्रम शाम पांच बजे तक जारी रहेगा। शाम पांच बजे बाबा विश्वनाथ, मां पार्वती और मां की गोद में प्रथमेश श्रीगणेश को चांदी के सिंहासन पर बैठाकर गौना जुलूस निकलेगा। बाबा अपने शहर के लोगों के साथ होली खेलेंगे और उन्हें अपने नकारात्मक रूप में होली खेलने की इजाजत देंगे। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)