रांची (Ranchi): भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को रांची में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (सीयूजे) के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए देश के युवाओं से समाज और राष्ट्र निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि छात्रों और युवाओं को संकल्प लेना चाहिए कि वे जिस भी क्षेत्र में काम करेंगे, समृद्ध और विकसित भारत के संकल्प को हमेशा याद रखेंगे। समारोह में राष्ट्रपति ने सीयूजे के तीन सर्वश्रेष्ठ स्नातकों को चांसलर मेडल प्रदान किया। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि यूनिवर्सिटी में गोल्ड का दर्जा हासिल करने वालों में करीब 50 फीसदी लड़कियां हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में बेटियां और महिलाएं सदियों से विकास और शिक्षा में पीछे रहीं। अब वह हर क्षेत्र में आगे आकर शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।
जनजातीय परंपराओं को संरक्षित करने की आवश्यकता
अपने दीक्षांत भाषण में राष्ट्रपति ने जनजातीय परंपराओं को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि अगर हम प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के उनके ज्ञान से सीख सकते हैं, तो हम ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती का आसानी से सामना कर सकते हैं। उन्होंने डिग्री प्राप्त कर रहे युवाओं से कहा कि उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके काम का लाभ पिछड़े और वंचित वर्ग के लोगों को मिले।
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सीएम समेत कई गणमान्य रहे मौजूद
राष्ट्रपति ने कहा कि वह जब भी झारखंड आती हैं तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे वह अपने घर आ गयी हों। उन्होंने यहां राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि यह मेरे जीवन का सुखद अनुभव था। दीक्षांत समारोह में झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। इस दौरान यूनिवर्सिटी के यूजी-पीजी के 64 टॉपर्स को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। 20 एकीकृत पांच-वर्षीय यूजी-पीजी पाठ्यक्रमों से उत्तीर्ण 1,539 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई और 35 शोध विद्वानों को डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की डिग्री से सम्मानित किया गया।
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