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राम रहीम को अक्टूबर में गुपचुप तरीके से मिली थी पैरोल, आज हुआ खुलासा

चंडीगढ़: हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने 24 अक्टूबर को विवादास्पद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक दिन की पैरोल दी थी, जो अपने दो शिष्याओं के साथ दुष्कर्म करने के मामले में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है और जिसे अदालतों द्वारा कई बार जमानत देने से मना किया जा चुका है। सूत्रों ने बताया कि राम रहीम को उसकी पत्नी हरजीत कौर की याचिका पर पैरोल दी गई थी, क्योंकि दिल की बीमारी से जूझ रही उसकी 85 वर्षीय मां नसीब कौर गंभीर रूप से बीमार थी।

डेरा प्रमुख ने गुरुग्राम में अस्पताल में भर्ती अपनी मां से मुलाकात की थी। अधिकारियों ने शनिवार को इस बात की पुष्टि की। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि उसे गुरुग्राम के अस्पताल में कड़ी सुरक्षा के बीच ले जाया गया, जहां वह दिन में रुका था और शाम को फिर उसे जेल ले आया गया। 52 वर्षीय राम रहीम इस समय राज्य की राजधानी चंडीगढ़ से 250 किलोमीटर दूर रोहतक में उच्च सुरक्षा वाली सुनारिया जेल में बंद है। उनकी जमानत याचिका कई बार न्यायालयों द्वारा खारिज कर दी गई है।

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24 अप्रैल को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए उसका तीन सप्ताह का पैरोल दो वजहों से खारिज कर दिया गया था। पहली वजह थी कि पैरोल उसकी रिहाई और सरेंडर के समय राज्य में कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा कर सकता था। दूसरा कारण यह रहा कि उसकी मां की जांच करने वाले डॉक्टरों के पैनल की एक रिपोर्ट में कहा गया कि वह दिल की बीमारी से पीड़ित थी, लेकिन गंभीर हालत में नहीं थी। जून 2019 में राम रहीम ने पैरोल की अर्जी वापस ले ली थी जब भाजपा विपक्षी दलों द्वारा उसका पक्ष लेने के आरोपों पर चिंतित हो गई थी।