Monday, December 30, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeबिहारKishore Kunal: राममंदिर ट्रस्ट के सदस्य व पूर्व IPS किशोर कुणाल...

Kishore Kunal: राममंदिर ट्रस्ट के सदस्य व पूर्व IPS किशोर कुणाल का निधन

Patna News : राममंदिर ट्रस्ट के सदस्य रहे पूर्व भारतीय पुलिस सेवा (भापुसे) के पूर्व अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल का रविवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। किशोर कुणाल (Kishore Kunal) के निधन की पुष्टि उनके बेटे ने की है।

कार्डियक अरेस्ट से हुई मौत       

बता दें, किशोर कुणाल (Kishore Kunal) को आज सुबह कार्डियक अरेस्ट हुआ और उन्हें तुरंत महावीर वत्सला अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया। किशोर कुणाल सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक थे। सेवानिवृति के बाद आचार्य किशोर कुणाल सामाजिक कार्यों से जुड़ गए और फिलहाल वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष और पटना के चर्चित महावीर मन्दिर न्यास के सचिव थे। महावीर मंदिर न्यास बोर्ड पटना में कई स्कूल और कैंसर अस्पताल का संचालन करता है।

बता दें, किशोर कुणाल राजधानी पटना में ज्ञान निकेतन जैसे चर्चित स्कूल के संस्थापक भी हैं। जब देश में वीपी सिंह की सरकार थी तो उस वक्त आचार्य किशोर कुणाल केंद्र सरकार, विश्व हिंदू परिषद् और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त किए गए थे।

10 अगस्त 1950 को हुआ था किशोर कुणाल का जन्म 

किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव से की। उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन किया। वे 1972 में गुजरात कैडर से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी बने और पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात हुए। वहां से वे 1978 में अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने। इसके साथ ही वह संस्कृत अध्येता भी थे।

ये भी पढ़ें: PM Modi-D Gukesh: पीएम मोदी ने की डी गुकेश से मुलाकात, विश्व विजेता बनने पर बधाई दी

1983 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर मिला प्रमोशन 

किशोर कुणाल (Kishore Kunal) को 1983 में प्रोमोशन मिला और वे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर पटना में तैनात हुए। कुणाल ने 1990 से 1994 तक गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर काम किया। एक आईपीएस अधिकारी के रूप में कुणाल पहले से ही धार्मिक कार्यों में शामिल थे। इसके बाद साल 2000 में पुलिस से रिटायर होने के बाद उन्होंने केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी दरभंगा के कुलपति का पद संभाला। 2004 तक वे इस पद पर रहे और बाद में वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक बने और प्रचलित जातिवादी धार्मिक प्रथाओं में सुधार की शुरुआत की।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें