राम जन्मभूमिः रवींद्र की ढपली की थाप से सिर पर तसला रखकर झूम उठी थीं साध्वी ऋतंभरा

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Ram Janmabhoomi, फिरोजाबाद: राम मंदिर आंदोलन के दौरान अपनी पत्नी और बेटे के साथ गिरफ्तार किए गए रवींद्र शर्मा कहते हैं कि मैं भाग्यशाली था कि साध्वी ऋतंभरा अपने सिर पर कंकड़ से भरा कटोरा लेकर मेरी ढपली की धुन पर नाचने लगीं। आज हिंदू समाज के पांच सौ वर्षों के संघर्ष के बाद 22 जनवरी को रामलला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी। निश्चित तौर पर यह हमारे लिए खुशी का दिन है और हम इस दिन का इंतजार कर रहे थे।’

मुलायम सिंह यादव ने लगाया था प्रतिबंध

फिरोजाबाद शहर के तिलक नगर निवासी रवीन्द्र शर्मा का कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने जब रामलला के दरबार का ताला खुलवाया तो हिंदू दर्शन के लिए झुंड बनाकर आते रहे। जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने प्रतिबंध लगा दिया तो रामभक्त कहां मानने वाले थे? राम मंदिर के लिए मर मिटने वाले रामभक्त विवादित ढांचे के पास कारसेवा करने लगे। उनका कहना है कि यह मेरा सौभाग्य था कि जिस दिन विवादित ढांचा गिरा, उस दिन मैं वहां मौजूद था। उस वक्त डॉ. मुरली मनोहर जोशी, साध्वी उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा समेत कई नेता भी मौजूद थे। राम चबूतरा के निर्माण के दौरान मैं अपनी पत्नी सर्वेश मिश्रा और बड़े बेटे तरूण शर्मा के साथ अयोध्या में था। वहां हम तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। शाम को हमें मुचलके पर रिहा कर दिया गया।’

कारसेवकों पर चलीं थी गोलियां

उन्होंने बताया कि अगले दिन कारसेवक ढांचे के पास जमा हो गये। जिसका नेतृत्व विनय कटियार ने किया। मैं भाग्यशाली था कि साध्वी ऋतंभरा अपने सिर पर कंकड़ से भरा कटोरा लेकर मेरी ढपली की थाप पर नाचने लगीं। हमारी कार सेवा देखकर वह खुशी से गाना गाने लगी। अगले दिन कारसेवकों को लाइन में खड़ा करके गिरफ़्तारियाँ की गईं। फिर उसी दिन शाम को रिहाई हुई। मुख्यमंत्री बार-बार पद लेने की बात कर रहे थे। अधिकारी रिपोर्ट दे रहे थे कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जब अफसरों ने खबर दी कि लाखों लोग अयोध्या में घुस आये हैं तो मुलायम सिंह ने गोली चलाने का आदेश दे दिया। इसमें कारसेवकों पर सीधी गोलियां चलाई गईं। राम कोठारी और शरद कोठारी अपनी मां के साथ आये थे। वे हनुमान गढ़ी के पास थे। इस दौरान गोली लगने से दोनों भाई शहीद हो गए। इसके बाद भी कारसेवक नहीं रुके और ढांचे को गिराने के साथ ही भगवा झंडा फहराने का काम किया।

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इस दौरान उनके साथ सुशील मिश्रा, अनिल मिश्रा और शिवचरणलाल भारती भी थे। इसके बाद प्रवीण प्रताप सिंह और प्रमोद सैनी को 15 दिन तक रामपुर जेल में रहना पड़ा। शहर में आंदोलन के दौरान मुझे गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन आज मुझे खुशी है कि मेरे जैसे लाखों राम भक्तों की मेहनत रंग लाई और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ।

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