नई दिल्ली: भारत दौरे पर आए चीनी रक्षा मंत्री ने दोनों देशों के संबंधों में आई खटास को खत्म करने की बात कही है, लेकिन वहीं भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक से पहले उनसे हाथ नहीं मिलाया, हालांकि दोनों मंत्रियों ने सीमा क्षेत्रों के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर चर्चा की ।
दरअसल, किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले हाथ मिलाते हुए फोटो खिंचवाने की परंपरा है, जिसे हाथ मिलाना कहते हैं । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने द्विपक्षीय बैठक से पहले अपने चीनी समकक्ष ली से हाथ नहीं मिलाया, जबकि उन्होंने द्विपक्षीय बैठक से पहले ताजिक, ईरानी और कजाख समकक्षों से हाथ मिलाया । चीन के साथ तीन साल के गतिरोध के मद्देनजर राजनाथ के हाथ मिलाने से इनकार को एक तनातनी के तौर पर देखा जा रहा है। इस बैठक में चीनी रक्षा मंत्री ने कहा दोनों देश सीमा आम तौर पर स्थिर है और भारत-चीन ने सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखा है ।
चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों और एक- दूसरे के विकास को व्यापक, दीर्घकालिक और सामरिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए और संयुक्त रूप से विश्व और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान देना चाहिए । उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों में सीमा मुद्दे को उचित स्थिति में रखना चाहिए और सामान्य प्रबंधन के लिए सीमा स्थिति के संक्रमण को बढ़ावा देना चाहिए । ली ने उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष दोनों सेनाओं के बीच आपसी विश्वास को लगातार बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास में एक दूसरे का साथ देंगे ।
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द्विपक्षीय बैठक में राजनाथ सिंह ने साफ तौर पर कहा था कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर शांति के प्रसार पर आधारित है। उन्होंने कहा कि एलएसी पर सभी मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुसार हल करने की जरूरत है । सिंह ने दोहराया कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को नष्ट कर दिया है और सीमा पर प्रतिक्रिया तार्किक रूप से डी- एस्केलेशन के बाद होगी । बैठक में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन और पाकिस्तान पर तंज कसते हुए कहा कि भारत अपने प्रमुख पड़ोसियों के साथ मतभेदों से अधिक हित साझा करता है।
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