नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन (Perarivalan) को बुधवार को रिहा करने का आदेश दिया। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गत नौ अप्रैल को उसकी जमानत याचिका मंजूरी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेरारिवलन की दया याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच फंसी है।
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पेरारिवलन की रिहाई पर माता-पिता खुशी का ठिकाना नहीं
उधर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जैसे ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी एजी पेरारिवलन (Perarivalan) को रिहा करने का आदेश दिया, वैसे ही उसके माता-पिता के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई। पेरारिवलन के पिता कुयिलतसन और मां अरूपुतम्मल ने पत्रकारों से कहा, “हम पेरारिवलन की रिहाई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बहुत अधिक खुश हैं। हम उन सभी को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने हमारे बेटे के समर्थन में आवाज उठाई।”
पेरारिवलन के जोलारपेट्टई स्थित आवास के बाहर उसका परिवार और उसके दोस्त इस खुशी में मिठाइयां बांट रहे हैं। राजीव गांधी की हत्या के आरोप में जब पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था, तब वह मात्र 19 साल का था। पेरारिवलन की रिहाई के आदेश से इस हत्याकांड में शामिल नलिनी और उसके पति मुरुगन समेत छह अन्य दोषियों की रिहाई की आस भी बढ़ गई है।
करीब 30 साल की सजा काट चुके है,पेरारिवलन
दरअसल पेरारिवलन ने दिसंबर 2015 में तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष दया याचिका पेश की थी। गत 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। पेरारिवलन करीब 30 साल जेल में रह चुका है। तमिलनाडु सरकार ने सितंबर 2018 में पेरारिवलन की रिहाई की सिफारिश की थी लेकिन राज्यपाल ने दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेज दी थी।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल को दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार नहीं है। पीठ ने साथ ही यह भी कहा था कि पेराविलन 30 साल जेल में बिता चुका है और अदालत ने पहले भी 20 साल से अधिक की सजा भुगतने वाले उम्रकैदियों के पक्ष में फैसले सुनाए हैं। इस मामले में भी कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार के वकील ने तब तर्क दिया था कि राष्ट्रपति निर्णय करेंगे कि राज्यपाल उन्हें दया याचिका भेज सकते हैं या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्पष्ट किया था कि वह इस मामले में सुनवाई करेगा और राष्ट्रपति के फैसले का उसकी सुनवाई पर कोई असर नहीं होगा। गौरतलब है कि राजीव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में 21 मई 1991 को आत्मघाती हमले में की गई थी।
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