Tuesday, April 1, 2025
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Holi 2025: भारत का एक ऐसा गांव जहां खेली जाती है ‘बारूद की होली’, रात भर चलती हैं तोपें

Holi 2025: रंगों का त्योहार होली पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपनी सारी दुश्मनी भूलकर अपने दुश्मनों को गले लगाते हैं. कहीं गीले रंगों से होली खेली जाती है तो कहीं अबीर फेंका जाता है। इतना ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में आपको लोग गोबर और नाले के पानी से भी होली खेलते दिख जाएंगे। लेकिन क्या आपने कभी लोगों को बारूद से होली खेलते देखा या सुना है?

Holi 2025: 500 साल से चली आ रही परंपरा

दरअसल हम बात कर रहे हैं राजस्थान के एक गांव की। जहां होली कुछ अलग ही होती है! यहां रंगों से नहीं बल्कि बारूद से होली खेली जाती है। पूरी रात तोप गरजती है, आग उगलती है और लोग नाचने लगते हैं। राजस्थान के उदयपुर जिले के इस गांव में करीब 500 साल से यह परंपरा चली आ रही है। यह खास दिन होता है जमरा बीज (Jamra Beej) का और इस अनूठी परंपरा को निभाता है मेवाड़ का ऐतिहासिक गांव मेनार। जहां गोलियों और बारूद के शोर के बीच इसे मनाया जाता है। इसकी कहानी वीरता और हार न मानने के दृढ़ संकल्प की कहानी है। इस साल जमरा बीज पर्व 15 मार्च को है।

Holi 2025: बेहद दिलचस्प है कहानी

दरअसल वीरों की धरती से जुड़ी कहानी भी दिलचस्प है। यह मुगलों के खिलाफ डटकर खड़े होने वाले मेनारिया ब्राह्मणों की कहानी है। कहा जाता है कि मेवाड़ में महाराणा अमर सिंह के शासनकाल में मेनार गांव (menar gaon ) के पास मुगल सेना की चौकी थी। गांव वाले चिंतित थे। पता चला कि मुगल सेना हमला करने की योजना बना रही है।

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फिर क्या था, गांव वालों को भनक लग गई और उन्होंने रणनीति बनाकर मुगल सेना को खदेड़ दिया। मेनारिया समाज की जीत हुई। अगर इतिहास की बात करें तो युद्ध में ब्राह्मणों ने कई मुगल सैनिकों को मार गिराया था। वे खुद भी शहीद हुए थे। लेकिन जीत अंततः ब्राह्मणों की ही हुई थी। तभी से बारूद की होली खेली जाती है।

Holi 2025: रात भर फेंके जाते है बम

देर शाम को ग्रामीण पूर्व रजवाड़ों के सैनिकों की वर्दी, धोती-कुर्ता और कसुमल पगड़ी पहनकर अपने घरों से निकलते हैं। वे तलवारें लहराते और बंदूकों से गोलियां चलाते हुए अलग-अलग रास्तों से गांव के ओंकारेश्वर चौक पहुंचते हैं। आतिशबाजी होती है। उसके बाद वहां मौजूद लोग योद्धाओं का अबीर-गुलाल से स्वागत करते हैं। देर रात तक बम फेंके जाते हैं। ग्रामीण दो समूहों में बंट जाते हैं और आमने-सामने खड़े होकर बम फेंकते हैं। विचित्र और आश्चर्यजनक बात यह है कि इस दौरान महिलाएं सिर पर कलश लेकर वीरतापूर्ण गीत गाती हुई निर्भयतापूर्वक आगे बढ़ती हैं।

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