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कांग्रेस को खलेगा सियासी जोड़-तोड़ के माहिर खिलाड़ी भंवर लाल शर्मा का यूं चले जाना

जयपुरः सियासी जोड़तोड़ के माहिर खिलाड़ी और सरकार गिराने से लेकर उसे बचाने तक के रोल में शामिल रहे चूरू जिले के सरदारशहर से विधायक रहे भंवरलाल शर्मा 15वीं विधानसभा के छठें ऐसे सदस्य हैं, जिनका निधन हुआ है। इससे पहले कांग्रेस के कैलाश त्रिवेदी, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, गजेंद्र सिंह शक्तावत और राजसमंद से बीजेपी विधायक किरण माहेश्वरी, गौतम लाल मीणा का भी निधन हो चुका है। विधायक भंवरलाल शर्मा का जन्म चूरू जिले के सरदारशहर में 17 अप्रैल 1945 को हुआ था। साल 1962 में शर्मा पहली बार सरदारशहर की जैतसीसर ग्राम पंचायत के सरपंच बने। उसके बाद साल 1962 से 1982 तक सरपंच रहे और 1982 में वे सरदारशहर पंचायत समिति के प्रधान चुने गए।

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भंवर लाल शर्मा ने 1985 में लोकदल से पहला राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। विधायक बनने के बाद शर्मा ने जनता दल पार्टी की सदस्यता ली। वे 1990 में दूसरी बार जनता दल के विधायक बनने में सफल रहे। दूसरी बार विधायक बनने पर भंवरलाल शर्मा को तत्कालीन सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। फिर उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन करते हुए 1996 में राजस्थान विधानसभा उपचुनाव जीता। साल 1998, 2003, 2013 और 2018 के चुनाव में वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने।

भंवरलाल शर्मा गहलोत सरकार के तीनों कार्यकाल में नहीं मंत्री बन पाए थे। गहलोत सरकार के 1998, 2003 और 2018 के कार्यकाल में चुनाव जीतने के बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। साल 2020 में सचिन पायलट कैंप की बगावत के चलते गहलोत सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान भंवरलाल शर्मा ने सचिन पायलट कैंप का साथ दिया था। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भंवर लाल शर्मा के सरकार गिराने के कथित ऑडियो वायरल होने के बाद पार्टी ने भंवरलाल शर्मा को निलंबित भी कर दिया था, लेकिन बाद में भंवर लाल शर्मा की सदस्यता फिर से बहाल कर दी गई। हालांकि तब से ही भंवर लाल शर्मा की तबीयत भी नासाज रहने लगी थी, वो पार्टी कार्यक्रमों में भी कम ही नजर आते थे।

शर्मा अपने 37 साल के कॅरियर में हमेशा बेबाक बयानबाजी के लिए पहचाने गए। आम आदमी से जुड़ाव और खुलकर अपनी बात कहने के कारण उन्हें कई बार परेशानी का भी सामना करना पड़ा। 60 के दशक में सरपंच के पद से राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत करने के बाद उन्होंने सियासत में पीछे मुड़कर नहीं देखा। शर्मा सरदारशहर से सात बार विधायक रहे। वे आठवीं से लेकर बारहवीं विधानसभा तक सरदारशहर से पांच बार लगातार जीते। बीच में हार गए थे। शर्मा राजनीति में हमेशा मजबूत रहे और सत्ता में पकड़ रही लेकिन उन्होंने कभी देसी अंदाज नहीं छोड़ा। सरदारशहर के लोगों में दादा के नाम से मशहूर भंवरलाल शर्मा के दरवाजे जनता के लिए हमेशा खुले रहते थे। घर आए व्यक्ति को कभी भूखे नहीं जाने देते थे, यह शुरू से लेकर आखिर तक निभाया। वे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले सरदारशहर के लोगों का खास ध्यान रखते थे। क्षेत्र के किसी जरूरतमंद के पास दवा के पैसे नहीं होते थे तो वे इसका इंतजाम करते थे।

भंवरलाल शर्मा सियासी जोड़तोड़ के भी माहिर खिलाड़ी थे। सरकार गिराने से लेकर उसे बचाने तक के रोल में रहे और बेबाकी से रहे। कभी भी उन्होंने सियासी सच्चाई को छिपाया नहीं और बेबाकी से उसे स्वीकारा। 1990 में भैरोसिंह शेखावत सरकार को समर्थन दिया और जनता दल दिग्विजय कोटे से मंत्री बने। 1996 में वे जनता पार्टी से उपचुनाव जीते। 1996 में उन पर बीजेपी विधायकों के साथ मिलकर भैरोसिंह शेखावत सरकार गिराने की साजिश करने के आरोप लगे थे, हालांकि सरकार बच गई थी। जुलाई 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय भी भंवरलाल शर्मा चर्चित रहे थे। शर्मा पायलट खेमे के विधायकों के साथ बाड़ेबंदी में मानेसर रहे थे।

जब अगस्त 2020 में सुलह हुई तो वे सबसे पहले आकर सीएम अशोक गहलोत से मिले, बाद में वे गहलोत के समर्थन में ही माने जाते रहे। करीब आठ साल पहले कांग्रेस ने उन्हें राहुल गांधी को जोकर कहने पर निलंबित कर दिया था। शर्मा का मई 2014 में दिया गया बयान काफी सुर्खियों में रहा था। शर्मा ने राहुल गांधी और उनके सलाहकारों को जोकर कहा था। इसके बाद कांग्रेस ने शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था। उन्होंने कहा था कि गांधी परिवार का सदस्य होने के कारण राहुल को इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दे दी गई। वरना उन्हें कोई अनुभव नहीं है। हालांकि, बाद में भंवर लाल शर्मा की कांग्रेस में वापसी हो गई थी।

चार साल में छह विधायकों का निधन

राजस्थान विधानसभा की नई बिल्डिंग बनने के बाद एक संयोग रहा है कि यहां कभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे। भवंरलाल शर्मा के निधन के बाद अब विधानसभा में 199 विधायक रह गए हैं। मौजूदा 15वीं विधानसभा में चार साल में अब तक छह विधायकों का निधन हो चुका है। इससे पहले कोरोना काल में मंत्री और सुजानगढ़ से विधायक मास्टर भंवरलाल, सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी, वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत, राजसमंद से बीजेपी विधायक किरण माहेश्वरी और धरियावद से गौतम लाल मीणा का निधन हो चुका है।

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