रायपुर (Raipur): मुख्यमंत्री बनने के बाद विष्णु देव साय 28 दिसंबर को पहली बार अपने गृह जिले जशपुर और गृह ग्राम बगिया के दौरे पर आ रहे हैं। उनके स्वागत को लेकर जशपुर की जनता काफी उत्साहित है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उनके पैतृक गांव बगिया में जश्न का माहौल है।
विष्णुदेव साय का मुख्यमंत्री बनने तक का सफर आसान नहीं था। संघर्षों से भरी राह पर चलकर उन्होंने पंच से लेकर मुख्यमंत्री तक का मुकाम हासिल किया है। एक आदिवासी परिवार में जन्मे साय जब चौथी कक्षा में थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। परिवार और पुश्तैनी खेती संभालने के साथ-साथ उन्होंने बड़ी मुश्किल से 11वीं तक की पढ़ाई पूरी की।
किसान परिवार से रखते हैं ताल्लुक
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का जन्म 21 फरवरी 1964 को छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के फरसाबहार विकासखण्ड के ग्राम बगिया में हुआ था। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले साय ने लंबा राजनीतिक सफर तय कर यह ऊंचा मुकाम हासिल किया है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1989 में तत्कालीन अविभाजित मध्य प्रदेश में बगिया ग्राम पंचायत के पंच के रूप में की थी। 1990 में वे ग्राम पंचायत बगिया के निर्विरोध सरपंच चुने गये। साय 1990 में पहली बार तपकरा विधानसभा से विधायक बने। विष्णुदेव साय 1990 से 1998 तक तत्कालीन मध्य प्रदेश की तपकरा विधानसभा से दो बार विधायक रहे। वे 1999 से लगातार चार बार रायगढ़ से सांसद चुने गए। विष्णुदेव साय लगातार सांसद रहे। 27 मई 2014 से 2019 तक केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में इस्पात, खान, श्रम और रोजगार मंत्रालय का प्रभार संभाला।
विरासत में मिली राजनीति
विष्णुदेव साय को राजनीति विरासत में मिली। उन के बड़े पिता स्वर्गीय नरहरि प्रसाद साय और स्वर्गीय केदारनाथ साय लंबे समय तक राजनीति में थे। स्वर्गीय नरहरि प्रसाद लैलूंगा और बगीचा से विधायक और बाद में सांसद चुने गये थे। स्वर्गीय नरहरि प्रसाद केंद्र में संचार राज्य मंत्री भी थे। स्वर्गीय केदारनाथ साय तपकरा से विधायक थे। विष्णुदेव साय के दादा स्वर्गीय बुधनाथ साय भी 1947-1952 तक विधायक रहे थे।
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