Rahul Gandhi Citizenship: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भारत के नागरिक हैं या नहीं इसको लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की अदालतों में राहुल गांधी नागरिकता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गृह मंत्रालय से सांसद राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं, राहुल की नागरिकता से जुड़ी सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई से इनकार कर दिया है।
9 अक्टूबर को होगी अगली सुनावई
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर इस मामले की सुनवाई अभी भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही है तो हम इस पर सुनवाई नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने एएसजी चेतन शर्मा को निर्देश दिया कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले पर चल रही सुनवाई की स्टेटस रिपोर्ट से कोर्ट को अवगत कराएं। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।
दरअसल लखनऊ हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि राहुल गांधी विदेशी नागरिक हैं। जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय से जानकारी हासिल करने का निर्देश दिया है। जुलाई 2024 में कोर्ट ने इसी याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर वह चाहें तो नागरिकता कानून के तहत सक्षम अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं। इसके बाद शिशिर ने दावा किया कि सक्षम अधिकारी से दो बार शिकायत करने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने दोबारा याचिका दाखिल की।
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राहुल की नागरिकता को लेकर एस विग्नेश ने दायर की थी याचिका
बता दें कि राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने का दावा कर्नाटक निवासी एस विग्नेश ने 12 सितंबर को जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया है कि अमेठी के सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी यूनाइटेड किंगडम (यूके) के नागरिक हैं। शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने मामले की गहनता से जांच की है और कहा कि उन्हें जो गोपनीय जानकारी मिली है, उससे पता चला है कि गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। सीबीआई जांच की मांग के साथ ही एस विग्नेश शिशिर ने कथित ब्रिटिश नागरिकता के आधार पर राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की भी मांग की है।
क्या कहना है हाईकोर्ट का
बुधवार को सुनवाई के दौरान शिशिर ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट में अपनी पिछली याचिका वापस लेने के बाद उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी के समक्ष दो आवेदन (अभ्यावेदन) पेश किए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिशिर ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसका फिलहाल फोकस सिर्फ इस बात पर है कि क्या केंद्र सरकार को अभ्यावेदन मिले हैं? इस संबंध में कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) सूर्यभान पांडे को इस संबंध में गृह मंत्रालय से जानकारी हासिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को करेगा।