मेरठः किसान आंदोलन के बाद बदले हालात को भुनाने के लिए रालोद और सपा ने गठबंधन तो किया, लेकिन रालोद को अपने कार्यकर्ताओं का आक्रोश झेलना पड़ रहा है। वर्षों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेताओं को दरकिनार करके रालोद को कई सीटों को सपा नेताओं को अपना सिंबल देना पड़ा। इसका तीखा विरोध धरातल पर दिखाई दे रहा है। इस समय प्रचार का मुख्य मंच बने इंटरनेट मीडिया पर रालोद कार्यकर्ताओं का आक्रोश खुलकर सामने आ रहा है। चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद पश्चिम यूपी में रालोद की सार्थकता सिद्ध करने का जिम्मा जयंत सिंह पर है। किसान आंदोलन से उपजे हालात को भुनाने के लिए रालोद और सपा ने गठबंधन भी कर लिया, लेकिन हालात अभी रालोद के पक्ष में नहीं नजर आ रहे।
गठबंधन की कीमत पर रालोद को अपनी परंपरागत सीटों को सपा को देना पड़ा तो कई सीटों पर सपा नेताओं को रालोद का सिंबल देकर चुनाव लड़ाना पड़ रहा है। इससे रालोद के कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त हो गया है। बागपत जनपद की छपरौली सीट से रालोद ने पहले पूर्व विधायक वीरपाल राठी को टिकट दिया। इसका इतना विरोध हुआ कि रालोद कार्यकर्ताओं ने जयंत सिंह के दिल्ली आवास पर जाकर हंगामा किया। इसके बाद रालोद ने वीरपाल राठी का टिकट काटकर पूर्व विधायक डॉ. अजय कुमार को छपरौली सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। मेरठ की सिवालखास सीट रालोद के खाते में जानी तय मानी जा रही थी और यहां से डॉ. राजकुमार सांगवान टिकट के प्रबल दावेदार थे। रालोद को दबाव में सपा के पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारना पड़ा। इसका रालोद कार्यकर्ता सीधा विरोध कर रहे हैं। गांवों में रालोद के झंडे जलाए जा रहे हैैं। कई नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। रालोद के पुराने कार्यकर्ता इंटरनेट मीडिया पर गठबंधन का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इसी तरह से मेरठ कैंट सीट भले ही रालोद के खाते में आई, लेकिन यहां से सपा कोटे से बसपा के पूर्व विधायक चंद्रवीर सिंह की बेटी मनीषा अहलावत को रालोद को अपना सिंबल देना पड़ा है।
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गाजियाबाद की मुरादनगर विधानसभा सीट से भी रालोद को सपा नेता सुरेंद्र कुमार मुन्नी को अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारा पड़ा। इसका भी रालोद कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं। इसी तरह से मुजफ्फरनगर शहर सीट भले ही रालोद के खाते में गई, लेकिन यहां से सपा नेता सौरभ स्वरूप को रालोद का सिबंल मिला है। इसका भी रालोद नेता राकेश शर्मा के समर्थक खुलकर विरोध कर रहे हैं। इसी तरह से खतौली सीट से भी रालोद को सपा नेता राजपाल सैनी को अपना सिंबल देना पड़ा है। रालोद समर्थक इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर तो समर्थकों का कहना है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव के दबाव में जयंत सिंह ने अपने समर्थकों की बलि दे दी है। इस असंतोष का नुकसान गठबंधन को चुनावों में हो सकता है।
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