चंडीगढ़: अवैध खनन और मनी लांड्रिंग के मामले में आरोपित भूपेंद्र सिंह उर्फ हनी को जालंधर की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने तीन दिन का रिमांड समाप्त होने के बाद शुक्रवार को हनी को अदालत में पेश किया था। हनी पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का भांजा है। ईडी ने दो फरवरी को भूपेंद्र सिंह के मोहाली स्थित घर पर छापामारी कर लगभग 8 करोड़ रुपये जब्त किए थे। हनी के दोस्त संदीप के पास से भी 2 करोड़ रुपये की धनराशि मिली थी। दोनों ईडी को यह यह नहीं बता पाए कि इस धनराशि का स्रोत क्या है।
ये भी पढ़ें..पूर्वांचल में बागियों के सहारे बसपा की बल्ले बल्ले, सपा-भाजपा की बढ़ी मुश्किलें
बता दें कि हनी को ईडी ने चार फरवरी को गिरफ्तार किया था। अदालत ने उसे आठ फरवरी तक के लिए ईडी को रिमांड पर सौंप दिया था। इस दौरान ईडी की पूछताछ में हनी ने माना कि उसने अवैध खनन से जुड़े अधिकारियों के स्थानांतरण करवाकर करोड़ों रुपये वसूले । इसके बाद ईडी यह पता लगाने के प्रयास में था कि यह पैसा असल में किसका है। जांच एजेंसी ने हनी को 8 फरवरी को अदालत में प्रस्तुत कर उसका रिमांड बढ़ाने की मांग की थी। अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हनी का रिमांड 11 फरवरी तक बढ़ा दिया था।
सीएम चन्नी के नाम पर गड़बड़ी कर रहा था हनी
सूत्रों ने दावा किया है कि हनी चन्नी के करीबी थे, इसलिए वह भारी मुनाफा कमाने के लिए राजनीतिक कनेक्शन का इस्तेमाल कर रहे थे। ईडी के दस्तावेजों के मुताबिक, हनी ने कबूल किया है कि उसके दस करोड़ रुपये थे जो ईडी ने छापेमारी के दौरान बरामद किए थे। ईडी ने आरोप लगाया है कि उसे अवैध खनन से भी पैसा मिल रहा था। 18 जनवरी को ईडी ने होमलैंड हाइट्स सहित दस अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की, जो हनी का आवास है। ईडी ने दो दिनों तक अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए।
ईडी अधिकारियों ने हनी के बिजनेस पार्टनर कुदरत दीप सिंह का बयान दर्ज किया था।
ईडी के अधिकारी ने कहा था कि उन्होंने छापेमारी के दौरान अवैध रेत खनन, संपत्ति के लेन-देन, सेल फोन, 21 लाख रुपये से अधिक के सोने और 12 लाख रुपये की घड़ी और 10 करोड़ रुपये नकद से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए है। एक सूत्र ने कहा कि उनके द्वारा बरामद दस्तावेजों से पुष्टि होती है कि कुदरत दीप सिंह दो फर्म चला रहे थे और भूपिंदर सिंह हनी उनमें संयुक्त निदेशक थे। सूत्रों के मुताबिक, ये कंपनियां मूल रूप से मुखौटा कंपनियां हैं, लेकिन ईडी को बहुत सारे पैसे के लेनदेन का पता चला है। फर्मों में से एक प्रदाता ओवरसीज कंसल्टेंसी लिमिटेड है, जिसे 2018 में 33.33 प्रतिशत समान शेयरों के साथ शामिल किया गया था।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)