Pulwama Attack: आतंकियों का वो कायराना हमला जिससे दहला गया था देश, भारत ने खोए थे 40 वीर सपूत

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Pulwama Attack: ‘दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त, मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी’।।।।लाल चंद फलक की ये शायरी हमें पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए वीर सपूतों की याद दिलाती है। वैसे तो 14 फरवरी की तारीख देश और दुनिया के इतिहास में कई अहम वजहों से दर्ज है। लेकिन 14 फरवरी 2019 यानी आज ही के दिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले से देश हिल गया था।

क्या हुआ था उस दिन ?

बता दें कि उस दिन दोपहर के तीन बजे थे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का काफिला श्रीनगर-जम्मू हाईवे से गुजर रहा था। पूरे काफिले में 78 गाड़ियां थीं। काफिले में 2,547 सैनिक थे। काफिला पुलवामा पहुंच चुका था। तभी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने 350 किलो विस्फोटक से भरी तेज रफ्तार एसयूवी को काफिले से भिड़ा दी।

तभी एक जोरदार धमाका हुआ। इस विस्फोट की चपेट में आई दो बसों में से एक के परखच्चे उड़ गए। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के 30 साल के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा हमला था। पुलवामा हमला पिछले नौ साल का सबसे बड़ा आतंकी हमला था।

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इससे पहले अप्रैल 2010 में छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हो गए थे। पुलवामा हमले को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने अंजाम दिया था। डार को अब्दुल रशीद गाजी ने प्रशिक्षित किया था। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। हमले से कुछ दिन पहले यानी 5 फरवरी को कराची में जैश की रैली हुई थी। जहां आतंकी मसूद अज़हर के छोटे भाई मौलाना अब्दुल रऊफ असगर ने भारत को दहलाने की धमकी दी थी।

भयावह था हमले का मंजर

धमाका इतना जोरदार था कि जिसकी गूंज 10 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। धकाके बाद धुएं का एक बादल उठा जिसने सब कुछ नष्ट कर दिया। इसके बाद न तो वह कार दिखी और न ही वह बस जिससे कार की टक्कर हुई थी। जो कुछ बचा था वह था उस बस का मलबा और 40 वीर सपूतों के शव। मंजर इतना भयावह था कि देखने वाले कांप उठे।

भारतीय सेना 12 दिन में लिया बादला

पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद भारत ने शहीद हुए 40 वीर सपूतों की शहादत का बदला लिया। रात में भारतीय वायुसेना के 12 मिराज विमानों ने पाकिस्तान में घुसकर जैश के सबसे बड़े आतंकी अड्डे को तबाह कर दिया। वायुसेना ने बालाकोट में भी बम गिराए। भारतीय सेना इस एयरस्ट्राइक में 350 से ज्यादा आतंकवादी मारे गये। इस प्लान को अंजाम देने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनएसए अजित डोभाल को दी थी।

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