Friday, November 15, 2024
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बंगाल विधानसभा में विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पास, पक्ष में पड़े 196 वोट

कोलकाताः पश्चिम बंगाल में फिर विधान परिषद के गठन का रास्ता साफ हो गया। मंगलवार को विधानसभा में राज्य में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव 69 मतों के मुकाबले 196 मतों से पारित हो गया।

मंगलवार के राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने विधानसभा के पटल पर विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव पर हुई बहस के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सदन में उपस्थित नहीं थीं। भाजपा ने विधान परिषद के गठन के सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया और ममता की अनुपस्थिति को लेकर हो-हल्ला मचाया। इसके बाद भी प्रस्ताव 69 के मुकाबले 196 मतों से पारित हो गया।

सदन में बिल पर हुई चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हम विधान परिषद के खिलाफ हैं, क्योंकि विधान परिषद के माध्यम से राजनीतिक रूप से खारिज किए गए लोगों को पिछले दरवाजे सदन में भेजने की कोशिश की जा रही है। अधिकारी ने कहा कि जिस राज्य में सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता नहीं मिल रहा है, वहां विधान परिषद जैसा खर्चीला कदम अनैतिक है। उन्होंने कहा कि छह सालों के दौरान विधान परिषद के गठन से 600 से 800 करोड़ रुपये का खर्च होगा। यहां 40 लाख प्रवासी मजदूर हैं जिनके हित की चर्चा ममता सरकार को नहीं है लेकिन बैक डोर से सत्ता में बने रहने के उपाय लगाए जा रहे हैं।

सदन में चर्चा के दौरान पार्थ चटर्जी ने कहा कि सदन में कांग्रेस और सीपीएम शून्य है। लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। बंगाल के बारे में सोचे और सटीक तरीके से चर्चा करें। यह इसलिए नहीं किया जा रहा है कि हमें क्या मिलेगा, वरन समाज के विशिष्ट लोगों को सम्मान देने के लिए गठन किया जा रहा है। भाजपा के विरोध पर उन्होंने सवाल किया कि उत्तर प्रदेश में विधान परिषद रह सकता है तो फिर बंगाल में क्यों विधान परिषद नहीं रहेगा।

उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में विधान परिषद के गठन को शामिल किया था। 18 मई को तीसरी बार बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बमुश्किल 12 दिन बाद ममता बनर्जी ने विधान परिषद बनाने को कैबिनेट के फैसले को मंजूरी दी थी।

वोट नहीं कर सकती थी मुख्यमंत्री

विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव पर हुई चर्चा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शामिल नहीं हुईं, लेकिन उनके लिए 20 मिनट का समय आवंटित किया गया था। लेकिन वे मुकुल रॉय के घर जाने के बाद वहां से सीधे अपने घर चली गईं। राजनेताओं का कहना है कि अगर सदन में मुख्यमंत्री होती, तो वह मतदान नहीं कर पाती। इससे अच्छा संदेश नहीं जाता। शायद यही वजह रही कि विधानसभा की चर्चा में मुख्यमंत्री मौजूद नहीं रहीं।

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राज्यपाल और केंद्र सरकार के पास जाएगा विधेयक

वर्तमान में बंगाल में 294 सदस्यीय विधानसभा है, मगर राज्य में विधान परिषद की व्यवस्था नहीं है। मगर फिर से बंगाल में विधान परिषद स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। अनुमान यह कि विधान परिषद में 98 सदस्य हो सकते हैं। बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं। चूंकि एक विधान परिषद में सदस्यों की संख्या विधानसभा के सदस्यों से एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकती है, इसलिए विधान परिषद में 98 सदस्य हो सकते हैं। अब इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा। उसके बाद इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा।

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