श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर महिला उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये एक उत्साहजनक और अनुकूल वातावरण बनाने के मिशन पर है। यहां कई क्षेत्रों में हजारों महिलायें व्यावसायिक परियोजनाओं का नेतृत्व कर रही हैं। महिला उद्यमियों के बढ़ते आत्मविश्वास का सबसे बड़ा कारण केंद्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा प्रदत वित्तीय सहायता है।
केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने उद्यमी महिलाओं के लिये क्षितिज का विस्तार करने और ‘जम्मू और कश्मीर’ ब्रांड के पुनर्निर्माण में मदद करने के लिये कई योजनायें और प्रोत्साहन शुरू किये हैं। कुछ योजनाओं ने अविश्वसनीय रूप से तत्काल रिटर्न दिखाया है। इनमें सबसे बड़ी है उम्मीद योजना। यह योजना जेके ग्रामीण आजीविका मिशन है, जो ग्रामीण महिलाओं के जीवन में एक नया अध्याय शुरू कर रही है।
इस योजना का उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और स्थानीय उत्पादों तथा आसानी से उपलब्ध संसाधनों में सहायता करने के लिये लोगों को शामिल करना है। इसके तहत जम्मू कश्मीर में 60,000 स्वयं सहायता समूहों ने 5,02,641 महिलाओं को रोजगार दिया है। इन स्वयं सहायता समूहों ने अब तक 890.55 करोड़ रुपये का बैंक ऋण प्राप्त किया गया है और योजना के जरिये इन्हें 273.88 करोड़ रुपये प्राप्त हुये हैं। यह उल्लेखनीय है कि कैसे इन स्वयं सहायता समूहों ने अपनी बचत से 168.88 करोड़ रुपये जुटाये हैं।
केंद्र शासित प्रदेश के युवा कार्यक्रमों और मिशनों में महिलाओं का न्यूनतम प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये सरकार महिलाओं को लाभ देकर इसमें शामिल होने के लिये जोर दे रही है। मिशन युवा कार्यक्रम में 8,000 से अधिक महिला सदस्य हैं। पंचायत स्तर पर विभिन्न जिलों में 6,000 महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए सहायता प्रदान की गई है।
प्रखंड प्रशिक्षण केंद्र में जेकेआरएलएम उम्मीद के साथ मात्र 30 दिन की उद्यमिता प्रशिक्षण के बाद महिलायें जैम, अचार, सॉस, चटनी आदि बनाकर आजीविका कमा रही हैं। इस योजना के तहत इच्छुक महिलाओं को उनके घरों में प्रसंस्करण और संरक्षण इकाइयां स्थापित करने में मदद दी गई है। रियायती दरों पर कच्चे माल की उपलब्धता, ब्याज मुक्त ऋण और सरकारी एजेंसियों द्वारा उनके उत्पादों के निशुल्क विपणन ने महिला उद्यमियों को आगे बढ़ने का भरपूर मौका दिया है। अमेजन, फ्लिटकार्ट और मीशो जैसे ई कॉमर्स वेबसाइट पर इन उद्यमियों के 40 उत्पाद उपलब्ध हैं।
‘साथ’ योजना (ग्रामीण उद्यम त्वरण कार्यक्रम) की दो महिला उद्यमियों – रियासी की किरण और कुपवाड़ा की गजाला को हाल ही में एमएसएमई मंत्रालय द्वारा उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिये ‘उभरते उद्यमी’ का सम्मान दिया गया। पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को विशेष छात्रवृत्ति योजनाओं जैसे प्रगति और सक्षम से सहायता प्रदान की जा रही है। कश्मीर विश्वविद्यालय ने 2021 में 94 स्वर्ण पदक जीते, जिनमें से 66 पदक लड़कियों ने अपने नाम किये थे। इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में भी महिलाओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि समाज के उत्थान के लिये महिलाओं का सशक्तिकरण जरूरी है इसलिए महिलाओं के कौशल प्रशिक्षण और दोबारा प्रशिक्षण की दिशा में हरसंभव प्रयास करने होंगे। जेकेआरएलएम सिर्फ एक योजना नहीं है बल्कि एक भावना है, जिसमें लगभग पांच लाख महिलायें आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
दूर-दराज के क्षेत्रों में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को हस्तशिल्प कौशल प्रदान किया जा रहा है। सरकार के विशेष कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से कढ़ाई, क्रूवेल, सिलाई आदि सीखाया जा रहा है। हथकरघा केंद्रों ने पुलवामा जिले में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं के लिये रोजगार के अवसर पैदा हुये हैं। ये केंद्र प्रशिक्षण देने के साथ महिलाओं को नियमित रूप से कुछ वित्तीय मदद भी प्रदान करते हैं ताकि प्रशिक्षित महिला एक या दो साल के प्रशिक्षण के बाद वह अपने घर पर ही इसकी इकाई स्थापित कर सके।
मुद्रा योजना के माध्यम से वित्तीय सहायता, कारीगर क्रेडिट कार्ड योजना आदि के जरिये कारीगरों और बुनकरों को समर्थन दिया जाता है। पुलवामा में वर्तमान में 20 हस्तशिल्प केंद्र और चार हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र हैं। महिलाओं का रूझान खेलों की ओर भी बढ़ाया जा रहा है। गत सप्ताह उपराज्यपाल ने जम्मू के राजभवन में जम्मू कश्मीर के पहले महिला साइक्लिंग क्लब वीमेन डू राइड के सदस्यों से मुलाकात की। सभी स्थानीय रेडियो स्टेशनों पर प्रसारित आवाम की आवाज शो में मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू और श्रीनगर के स्मार्ट शहरों को समर्पित साइकिल लेन और कार मुक्त क्षेत्र की गारंटी दी।
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