नई दिल्ली: भारतीय सैन्य बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा है कि वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा हिन्द महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है। इसलिए समुद्रों और समुद्री रास्तों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। भारतीय नौसेना लगातार निरंतर निगरानी और अथक प्रयास से इस संबंध में अत्यधिक सफल रही है। भारत ने परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण किया है और जल्द ही हमारे पास स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ सेवा में शामिल हो जाएगा।
राष्ट्रपति कोविन्द सोमवार को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में 12वें प्रेसिडेंट फ्लीट रिव्यू के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुझे आज भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों, विमानों की समीक्षा के दौरान भारत की समुद्री शक्ति देखकर खुशी हो रही है। जहाजों, विमानों और पनडुब्बियों की उत्कृष्ट परेड राष्ट्र की समुद्री सेवाओं की पेशेवर क्षमता और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करती है। यह परेड किसी भी आकस्मिकता के लिए भारतीय नौसेना की तैयारियों को भी प्रदर्शित करती है। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जताई कि भारतीय नौसेना नियमित रूप से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों के माध्यम से दुनिया की बड़ी संख्या में अन्य नौसेनाओं के साथ जुड़ती है। इसका उद्देश्य इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ाना, सामान्य समझ विकसित करना और समुद्री मुद्दों को हल करने के लिए आपसी विश्वास का निर्माण करना है।
उन्होंने कहा कि विशाखापत्तनम को ऐतिहासिक रूप से समुद्री अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता है। यह छठी शताब्दी से 21वीं सदी तक विजाग उद्योग और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। इसका सामरिक महत्व इसलिए भी है, क्योंकि यहां भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान का मुख्यालय भी है। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान विजाग ने शानदार योगदान दिया। उस युद्ध में भारत की जीत का स्वर्ण जयंती समारोह ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के तहत हाल ही में संपन्न हुआ है। उन्होंने इस युद्ध में पूर्वी नौसेना कमान की बहादुरी और पाकिस्तान की पनडुब्बी ‘गाजी’ के डूबने की घटना को याद करते हुए कहा कि यह पाकिस्तान के लिए एक निर्णायक झटका था।
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राष्ट्रपति ने कहा कि महासागरों के सतत उपयोग के लिए सहकारी उपायों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ में विश्वास करता है। कोरोना महामारी के दौरान भारतीय नौसेना ने ‘मिशन सागर’ और ‘समुद्र सेतु’ ऑपरेशन चलाकर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फंसे भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने और मित्र राष्ट्रों के विदेशी नागरिकों को दवाओं की आपूर्ति करने का कार्य किया है। भारतीय नौसेना तेजी से आत्मनिर्भर होती जा रही है और ‘मेक इन इंडिया’ पहल में सबसे आगे रही है। देश भर के विभिन्न सार्वजनिक और निजी शिपयार्डों में निर्माणाधीन कई युद्धपोतों और पनडुब्बियों की लगभग 70 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है। जल्द ही हमारे पास स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ सेवा में शामिल हो जाएगा।
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