Wednesday, January 15, 2025
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राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- न्यायालयों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने के होने चाहिए प्रयास

नई दिल्लीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने रविवार को कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यायालयों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे गरीब लोगों को अकल्पनीय पीड़ा होती है। इस स्थिति को बदलने के लिए हर संभव उपाय किए जाने चाहिए। राष्ट्रपति मुर्मू ने यह बात नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय जिला न्यायिक सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कही।

न्यायिक प्रक्रिया में अमीर और गरीब के बीच अंतर पर केंद्रित किया ध्यान

उन्होंने कहा कि गांव का गरीब आदमी न्यायिक प्रक्रिया में भाग लेने से डरता है और चुपचाप अन्याय सहता है। उसे लगता है कि न्यायालय जाने से उसका जीवन और कष्टमय हो जाएगा। उन्होंने कहा कि न्यायालय में लंबित मामले हम सभी के सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं। सभी हितधारकों को इस समस्या को प्राथमिकता देकर इसका समाधान निकालना होगा। इस दौरान राष्ट्रपति ने न्यायिक प्रक्रिया में अमीर और गरीब के बीच के अंतर पर ध्यान केंद्रित किया।

उन्होंने कहा कि यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि कुछ मामलों में संपन्न लोग अपराध करने के बाद भी निर्भय और स्वतंत्र रूप से घूमते हैं। जो लोग उनके अपराधों के शिकार होते हैं वे इस तरह से डरे रहते हैं जैसे उन्होंने खुद कोई अपराध किया हो। उन्होंने कहा कि न्यायालयीन परिस्थितियों में आम लोगों का तनाव स्तर बढ़ जाता है, जिसे उन्होंने “ब्लैक कोर्ट सिंड्रोम” नाम दिया और सुझाव दिया कि इसका अध्ययन किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कारावास की सजा काट रही महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कभी-कभी मेरा ध्यान कारावास की सजा काट रही माताओं और किशोर अपराधियों के बच्चों की ओर जाता है।

न्यायपालिका की छवि का निर्धारण न्यायालय ही करते हैं

उन महिलाओं के बच्चों के सामने पूरा जीवन पड़ा होता है। ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए क्या किया जा रहा है, इसका आकलन और सुधार हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि हाल के वर्षों में न्यायिक अधिकारियों के चयन में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इस वृद्धि के कारण कई राज्यों में न्यायिक अधिकारियों की कुल संख्या में महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है।

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उन्होंने आशा व्यक्त की कि न्यायपालिका से जुड़े सभी लोग महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रहों से मुक्त सोच, व्यवहार और भाषा का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। जिला स्तरीय न्यायालयों के महत्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जिला स्तरीय न्यायालय ही करोड़ों देशवासियों के मन में न्यायपालिका की छवि निर्धारित करते हैं। इसलिए जिला न्यायालयों द्वारा लोगों को संवेदनशीलता और शीघ्रता के साथ कम खर्च पर न्याय उपलब्ध कराना हमारी न्यायपालिका की सफलता का आधार है।

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