झारखंड की बंद पड़ी 71 कोयला खदानों में अब बिजली उत्पादन की तैयारी

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रांचीः झारखंड में कोयले की बंद पड़ी 71 खदानें अब इलाके में रोशनी फैलाने का माध्यम बनेंगी। कोयला मंत्रालय ने ऐसी खदानों में सौर ऊर्जा की इकाइयां लगाने का फैसला किया है। इन इकाइयों से उत्पादित होने वाली बिजली आस-पास के इलाकों में सप्लाई की जायेगी। कोयला मंत्रालय ने पूरे देश में 293 बंद पड़ी खदानों को चिह्न्ति किया है, जहां सोलर प्लांट की यूनिट लगाई जा सकती हैं। कोयला मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वर्ष 2023-24 तक कोल इंडिया ने सौर ऊर्जा की इकाइयों से 3000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इस योजना पर साढ़े पांच हजार करोड़ से भी अधिक की राशि खर्च होने का अनुमान है।

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झारखंड सहित पूरे देश में कोयले की सैकड़ों खदानें अलग-अलग वजहों से बंद हैं। सरकार में लंबे वक्त से ऐसे खदान क्षेत्रों के आदर्श उपयोग की योजनाओं पर विचार-विमर्श होता रहा है। इसे लेकर विशेषज्ञ समितियों ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। इनके आधार पर यह तय किया गया है कि बंद खदानों को ऊर्जा उत्पादन के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में विकसित किया जाये। झारखंड में जिन बंद खदानों को सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए चिह्न्ति किया गया है, उनमें 42 खदानें भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और 29 खदानें सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड की हैं। सबसे ज्यादा ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (इसीएल) की 84 खदानें इस परियोजना के लिए चुनी गई हैं।

बंद कोयला खदानों में जमा पानी का उपयोग सिंचाई और मछली पालन के लिए किये जाने की भी योजना पर काम जल्द शुरू किया जायेगा। कोल इंडिया में कई बंद खदानों में जमा पानी को फिल्टर कर पेयजल के रूप में उपयोग किये जाने के प्रोजेक्ट पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा कुछ खदानों को पार्क एवं वन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की भी योजना है।

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