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Mahakumbh 2025: कड़ाके की ठंड में नन्हे बच्चों ने किया अमृत स्नान, बोले- हमें नहीं लगी बिल्कुल भी सर्दी

Mahakumbh 2025: पौष पूर्णिमा स्नान के साथ महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन देश-विदेश से श्रद्धालु कुंभ नगरी पहुंचे हैं। रात से ही त्रिवेणी तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है। प्रयागराज में पहले अमृत स्नान के दिन सुबह 10 बजे तक करीब 1 करोड़ 38 लाख लोग संगम में पवित्र डुबकी लगा चुके हैं।

Mahakumbh 2025: बच्चों में दिख रहा आस्था का अद्भुत रंग

हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बावजूद श्रद्धालु अपनी आस्था के चलते गंगा स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। खासकर बच्चों में आस्था का अद्भुत रंग देखने को मिल रहा है। कई छोटे-छोटे बच्चे ठंड में कई किलोमीटर पैदल चलकर मां गंगा में डुबकी लगाने पहुंचे हैं। बच्चों का कहना है कि मां गंगा के प्रति हमारी आस्था के कारण हमें ठंड नहीं लग रही है। हम कई किलोमीटर पैदल चल रहे हैं, लेकिन हमें थकान महसूस नहीं हो रही है। इस दौरान श्रद्धालुओं में जो उत्साह और आस्था का नजारा देखने को मिला, वह काफी प्रेरणादायक है।

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नागपुर से आई बच्ची दीया शर्मा ने कहा कि हम नागपुर से आए हैं। मुझे यहां आकर काफी अच्छा लग रहा है। मुझे काफी खुशी हो रही है। स्टेशन से उतरने के बाद हम सभी आठ नौ किलोमीटर पैदल चले और उसके बाद गंगा जी के दर्शन किए। यहां काफी ठंड है। लेकिन, गंगा में स्नान करने के बाद हमें काफी अच्छा लगा। हमें बिल्कुल भी ठंड नहीं लगी।

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एक अन्य बच्ची ट्विंकल ने कहा कि मैं नागपुर से आई हूं। मैंने गंगा में स्नान किया। यहां काफी ठंड है। लेकिन, मुझे बिल्कुल भी ठंड नहीं लगी। यह भगवान की कृपा है। वहीं, एक अन्य बच्चे हर्ष गौतम ने कहा कि मैं मीरापुर से आया हूं। हम पैदल आए हैं। मुझे बिल्कुल भी थकान महसूस नहीं हुई। मैंने स्नान किया। मुझे बिल्कुल भी ठंड नहीं लगी।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का इतिहास

महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति का अनूठा पर्व है, जिसका उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक इन चार स्थानों पर गिरी थीं। इसलिए हर 12 साल में इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

महाकुंभ 2025 न केवल भारत की संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह पूरी दुनिया को भारतीय परंपरा और आध्यात्म का अनुभव कराता है। श्रद्धालुओं का उत्साह और भव्य आयोजन इसे खास बना रहे हैं। 44 साल बाद आयोजित इस महाकुंभ में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। इससे भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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