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Mahakumbh 2025 : मकर संक्रांति पर उमड़ा आस्था का सैलाब, महाकुंभ का पहला अमृत स्नान जारी

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आगाज हो चुका है। पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के बाद मंगलवार को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर पहले शाही स्नान यानी अमृत स्नान के अवसर पर संगम तट पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगा रहे हैं। दिव्य सजावट और भव्य तैयारियों से कुंभ मेला क्षेत्र जगमगा उठा है। चारों ओर अध्यात्म का प्रकाश और धर्म की गूंज है।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का पहला अमृत स्नान जारी

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मकर संक्रांति के अवसर पर महाकुंभ में पहला अमृत स्नान चल रहा है। भव्य रथ पर आचार्य महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर विराजमान हैं। ढोल-नगाड़ों और गाजे-बाजे के साथ संतों के रथ घाट की ओर बढ़ने लगे हैं। सबसे पहले श्रीपंचायत अखाड़ा महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के संतों ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। हाथों में तलवार-त्रिशूल, डमरू और पूरे शरीर पर भस्म लगाकर नागा साधु निकले। नागा साधु घोड़ों, ऊंटों और रथों पर सवार होकर हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए संगम पहुंचे। वे तलवारें और गदा लहराते हुए दौड़े और संगम में डुबकी लगाई।

महानिर्वाण अखाड़े के महामंडलेश्वर ने की ये अपील

आज यानी 14 जनवरी को सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के संतों ने त्रिवेणी संगम में विधि-विधान से अमृत स्नान किया। मकर संक्रांति पर अमृत स्नान करने के बाद महानिर्वाण अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञान पुरी ने कहा कि यहां भीड़ तो बहुत है, लेकिन जिस तरह से सब कुछ प्रवाहित होता है, वह अद्भुत है। उन्होंने कहा, “यह हमारा सौभाग्य है कि 144 साल बाद आज ऐसा पर्व आया है। मैं सभी से स्नान करने की अपील करता हूं।”

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Mahakumbh 2025: सीएम योगी ने शेयर की तस्वीरें

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महाकुंभ की तस्वीरें शेयर की हैं और लिखा है कि यह हमारी सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत रूप है। आज आस्था के महापर्व ‘मकर संक्रांति’ के पावन अवसर पर प्रयागराज में महाकुंभ-2025 के त्रिवेणी संगम पर प्रथम अमृत स्नान कर पुण्य कमाने वाले सभी श्रद्धालुओं को बधाई।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का इतिहास

महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति का अनूठा पर्व है, जिसका उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक इन चार स्थानों पर गिरी थीं। इसलिए हर 12 साल में इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। महाकुंभ 2025 न केवल भारत की संस्कृति और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह पूरी दुनिया को भारतीय परंपरा और आध्यात्म का अनुभव कराता है। श्रद्धालुओं का उत्साह और भव्य आयोजन इसे खास बना रहे हैं।

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