Historical Power Cut, नई दिल्ली: गर्मियों में अगर कुछ घंटों के लिए बिजली चली जाए तो आम लोगों का हाल बेहाल हो जाता है। ऐसे में बिजली कंपनियों के टोल फ्री नंबर पर शिकायतों की बाढ़ आ जाती है। सोसायटियों, कॉलोनियों में लोग बिजली कंपनी के खिलाफ गुस्सा निकालने लगते हैं। फिर थक-हारकर बिजली आने का इंतजार करने लगते हैं।
एक दशक पहले देश के सात राज्यों के लोग कुछ ऐसी ही उम्मीद कर रहे थे। दरअसल, 30 जुलाई 2012 की रात को ऐसी बिजली कटौती हुई, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। इसे ऐतिहासिक बिजली कटौती के तौर पर भी जाना जाता है। इस दिन सात राज्यों में एक साथ बिजली चली गई थी। शहरों में रहने वाले लोग परेशान थे। ग्रामीण इलाकों में लोग शांत थे लेकिन शहरी इलाके मदद के लिए चीख रहे थे।
30 जुलाई 2012 को हुई थी ऐतिहासिक बिजली कटौती
कहानी यह है कि 30 जुलाई 2012 को दोपहर करीब 2.30 बजे की जब अचानक बिजली गुल हो गई थी। लोगों को लगा कि बिजली गई है तो वापस आ जाएगी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। जब लोगों को पता चला कि सात राज्यों में बिजली कट गई है तो यह चर्चा का विषय बन गया। उत्तरी ग्रिड में कुछ खराबी आ गई थी। जिसके कारण दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा में एक साथ बिजली कट गई। इस बिजली कटौती के कारण करीब 36 करोड़ लोग प्रभावित हुए।
ये भी पढ़ेंः-Wayanad Landslide: तबाही की तस्वीरें आईं सामने, PM मोदी ने केरल के सीएम से की बात, मुआवजे का ऐलान
रेल यातायात पर पड़ा सीधा असर
बिजली कटौती के कारण इसका सीधा असर रेल यातायात पर पड़ा। कई ट्रेनें रोकनी पड़ीं। दिल्ली मेट्रो का संचालन बाधित रहा। लोग परेशान हो गए। भारत के इतिहास में ऐसा बिजली कटौती शायद ही पहले कभी हुई हो। करीब 15 घंटे तक बिजली कटी रही। देर शाम जब घरों में रोशनी हुई तो कुछ देर बाद फिर से बिजली चली गई। काफी मशक्कत के बाद स्थिति में सुधार हुआ।
व्यवस्था पर उठे सवाल
व्यवस्था पर सवाल उठे, एक कमेटी बनाई गई जिसने कहा कि 2012 के दौरान बिजली का ऑडिट न होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। इससे 48,000 मेगावाट का नुकसान हुआ। इतने बड़े पैमाने पर बिजली कटौती का कारण सभी स्टेशनों का काम न करना था। बिजली गुल होने के दौरान सिर्फ चार सब-स्टेशन ही काम कर रहे थे। लोड बढ़ा तो ग्रिड फेल हो गए। तब से कुछ बदलाव जरूर हुए हैं। महत्वपूर्ण सुधारों ने भारत के ट्रांसमिशन नेटवर्क को दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत ग्रिड में बदल दिया है।
यह उन्नत प्रणाली लोड को पुनर्वितरित करके ग्रिड-भारत को संतुलन बनाए रखने में सक्षम बनाती है। भारत ने थर्मल, न्यूक्लियर, हाइड्रो, सोलर पावर के जरिए खुद को आत्मनिर्भर बनाया और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। वितरण प्रणाली में लगातार सुधार हो रहा है। इस मुद्दे पर 2024 में संसद में एक श्वेत पत्र भी पेश किया गया। उस दौरान हुई अनियमितताओं को श्वेत पत्र में उजागर किया गया।