Friday, November 29, 2024
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विश्व युद्ध की आहट ! इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष से अखिर इतना क्यों डर रही दुनिया ?

नई दिल्ली: मध्य पूर्व में चल रहे दो बड़े संघर्षों ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। इजराइल एक साथ हिजबुल्लाह और हमास के साथ युद्ध में उलझा हुआ है। कई विश्लेषकों और नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर शांति स्थापित नहीं हुई तो और देश भी इस संघर्ष में उलझ सकते (world war) हैं। यह संकट पूरे मध्य पूर्व को अपनी चपेट में ले सकता है। मौजूदा हालात बहुत उम्मीद नहीं जगाते। लेबनान में इजराइली हवाई हमले जारी हैं।

इजराइल की चेतावनी चिंता विषय

हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष में इजराइल वही भाषा बोल रहा है जो वह हमास के साथ लड़ाई में बोलता रहा है। इस बार भी उसका कहना है कि हिजबुल्लाह के खात्मे तक उसकी कार्रवाई जारी रहेगी। हालांकि करीब एक साल के सैन्य अभियान के बाद भी वह गाजा में हमास को खत्म नहीं कर पाया है। यहूदी राष्ट्र ने संघर्ष विराम पर सहमति से भी इनकार कर दिया।

अमेरिका और उसके सहयोगियों की अपील किसी काम की नहीं!

आपको बता दें कि अमेरिका और उसके सहयोगियों ने 21 दिन के संघर्ष विराम की अपील की थी। इससे पहले बुधवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस संकट के क्षेत्रीय रूप लेने के प्रति आगाह किया था। उन्होंने कहा, “लेबनान में आपदा का तूफान है। इजराइल और लेबनान को अलग करने वाली सीमा रेखा ‘ब्लू लाइन’ पर गोलाबारी हो रही है, जिसका दायरा और तीव्रता बढ़ती जा रही है।” संघर्ष के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा क्यों है? इसे समझने के लिए हमें मध्य पूर्व के देशों की राजनीतिक पेचीदगियों को समझना होगा। इजराइल और अरब देशों के बीच संबंध ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हैं, जिसके कारण इस क्षेत्र ने कई युद्ध झेले हैं।

लेबनान में इजराइल की कार्रवाई पर ईरान चुप क्यों ?

यहूदी राष्ट्र हिजबुल्लाह और हमास के साथ संघर्ष में उलझा हुआ है। इन दोनों को ईरान का खुला समर्थन प्राप्त है। खास तौर पर हिजबुल्लाह की स्थापना में ईरान की अहम भूमिका रही है। माना जाता है कि हिजबुल्लाह लेबनानी सेना से ज्यादा ताकतवर है। उसके पास शक्तिशाली और आधुनिक हथियारों की कोई कमी नहीं है। हालांकि, लेबनान में इजराइल की सैन्य कार्रवाई पर अभी तक ईरान की ओर से कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसका कारण ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पेजेशकियन को माना जा रहा है, जिन्होंने इस पूरे मामले पर काफी नरम रुख अपनाया है। लेकिन देखना यह है कि वह अपने नरम रुख पर कब तक कायम रहते हैं।

यहूदी राष्ट्र ने हमेशा सीरिया को निशाना बनाया

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान के कट्टरपंथी रूढ़िवादियों को उनका समझौतावादी रुख पसंद नहीं आ रहा है। अगर इजरायल हिजबुल्लाह के खिलाफ अपना अभियान बढ़ाता है, तो ईरान के लिए चुप रहना मुश्किल हो जाएगा। इस संकट की आंच गृहयुद्ध में उलझे सीरिया तक पहुंचती दिख रही है। ऐसी खबरें हैं कि इजरायल ने गुरुवार को सीरिया-लेबनान सीमा पर हवाई हमला किया, जिसमें 8 लोग घायल हो गए। यहूदी राष्ट्र अक्सर सीरिया में हवाई हमले करता रहता है। उसका दावा है कि वह हिजबुल्लाह के खिलाफ यह कार्रवाई करता है।

इराक और इजरायल के बीच युद्ध की आशंका

इस बीच इराकी शिया मिलिशिया कताइब हिजबुल्लाह के एक बयान के बाद यह आशंका उभरी है कि क्या इराक और इजरायल के बीच भी संघर्ष शुरू हो सकता है। दरअसल, कताइब हिजबुल्लाह ने धमकी दी है कि अगर इजरायल इराक पर हमला करता है तो वह देश में मौजूद अमेरिकी सेना पर हमला करेगा। मिलिशिया का दावा है कि इराकी हवाई क्षेत्र में अमेरिका और इजरायल की तीव्र गतिविधियां देखी जा रही हैं और यह ‘इराक के खिलाफ ज़ायोनी (इजरायली) हमले की संभावना’ को दर्शाता है।

अरब देशों जनता डाल रही दबाव

वहीं, मध्य पूर्व के अन्य देशों में जनता की सहानुभूति हिजबुल्लाह और खासकर हमास के साथ है। अरब देशों की सरकारों पर वहां की जनता की ओर से लगातार इजरायल के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का दबाव है। हाल ही में सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान अल ने कहा कि सऊदी अरब ‘पूर्वी यरुशलम’ को अपनी राजधानी बनाए बिना ‘स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य’ के गठन के बिना इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं करेगा। क्या क्राउन प्रिंस का यह बयान इजराइल के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए जनता के दबाव के कारण आया है? क्योंकि पिछले कुछ सालों में ये दोनों देश रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे थे।

यह भी पढ़ेंः-बाइडेन की चेतावनी के बाद भी अमेरिकी सेना को निशाना बनाने की तैयारी में हिजबुल्लाह, दी ये धमकी

सवालों के घेरे में कई देशों की भूमिका

इस पूरे संकट में अमेरिका और पश्चिम की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। एक तरफ अमेरिका शांति की अपील कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ वह इजराइल का खुलकर समर्थन कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजराइल ने गुरुवार को कहा कि उसे अपने चल रहे सैन्य प्रयासों का समर्थन करने और क्षेत्र में सैन्य बढ़त बनाए रखने के लिए अमेरिका से 8.7 बिलियन डॉलर का सहायता पैकेज मिला है। पश्चिम की संदिग्ध भूमिका ने इस संकट को और भी जटिल बना दिया है। यह उन षड्यंत्रकारी सिद्धांतों को बल दे रहा है कि पश्चिम को अपना फायदा सिर्फ अशांत मध्य पूर्व में ही दिखता है।

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