शहादत को याद करते हुए बीता पुलिस स्मृति दिवस

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लखनऊ: बीते शनिवार को प्राप्त पुलिस लाइन लखनऊ में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर शहीद पुलिसकर्मियों की शहादत को याद किया गया। पुलिस महानिदेशक विजय कुमार को परेड स्थल पर सलामी दी गयी। परेड में पीएसी नागरिक पुलिस, यातायात पुलिस महिला पुलिस, जीआरपी एटीएस आरआरएफ अग्निशमन दल, एसडीआरएफ एवं एसएसएफ सहित कुल 12 टुकड़ियां सम्मिलित हुई। इसके उपरांत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को परेड द्वारा सलामी दी गई। तत्पश्चात मोनिका यादव, सहायक सेनानायक 30वीं वाहिनी पीएसी अलीगढ़ द्वारा शहीद पुस्तिका को ससम्मान सलामी मंच तक लाया गया।

शहीद हुए 188 में 3 यूपी के 

विगत वर्ष सम्पूर्ण भारत में 188 पुलिसजनों ने कर्तव्य की बेदी पर प्राणों की आहूति दी उनकी प्रदेशवार जानकारी दी गयी। इनमें उत्तर प्रदेश के 3 पुलिसजन सम्मलित है। उत्तर प्रदेश के 3 पुलिसजनों आरक्षी संदीप निषाद कमिश्नरेट प्रयागराज, आरक्षी राघवेन्द्र सिंह कमिश्नरेट प्रयागराज, आरक्षी भेदजीत सिंह जनपद जालौन के विषय में जानकारी दी गयी।
मुख्यमंत्री ने पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर देश के समस्त शहीद पुलिसजनो को श्रद्धासुमन अर्पित किया गया तथा इस अवसर पर कहा कि आज पूरा देश शहीद पुलिसजनों के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धाजलि अर्पित करते हुये उनका नमन कर रहा है।

वर्ष 2022-23 में कर्तव्य की बेदी पर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों में प्रदेश पुलिस बल के तीन बहादुर पुलिस कर्मी शामिल है। पुलिस महानिदेशक ने भी शहीद पुलिसजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा गया कि आज हम अपने उन वीर साथियों को श्रद्धाजलि अर्पित करने के लिये यहाँ एक हुए हैं जिन्होंने कर्तव्य की वेदी पर गत एक वर्ष में अपने प्राण न्यौछावर किये है। पुलिस महानिदेशक ने दिवंगत पुलिसजनों को समस्त पुलिस परिवार की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये उनके परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना प्रकट की गयी।

क्यों मनाते हैं पुलिस स्मृति दिवस

इतिहास चौसठ (64) वर्ष पूर्व का है 21 अक्टूबर 1959 को लाख क्षेत्र में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक टुकड़ी देश की सीमाओं की सुरक्षा में लगी थी। अचानक शत्रु सेना ने उसे घेर लिया परन्तु हमारे 10 जवानों ने अपने अदम्य साहस व शौर्य का परिचय देते हुए मातृभूमि की रक्षा में जवाबी कार्यवाही करते हुये कर्तव्य पथ पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिये। इन्ही वीर सपूतों की याद में सभी प्रदेशों की पुलिस तथा सभी केन्द्रीय पुलिस संगठनों में प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर हम शहीद पुलिसजनों को याद करते हैं, नमन करते हैं एवं श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

नहीं थम रहे आंसू 

रिर्जव पुलिस लाइन्स में आयोजित स्मृति दिवस पर शहीद हुए तीन पुलिसकर्मियों के परिजनों के सुख-दुख में पुलिस परिवार हमेशा खड़ा रहेगा। ऐसी बातें की तो बहुत जाती है लेकिन हकीकत में सच्चाई कुछ और है। आज भी शहीद पुलिस कर्मियों के माता, पिता व पत्नी के आंखों से आंसू थम नहीं रहे है। शहीद सिपाही राघवेंद्र की मां अरुणा का कहना है कि उनके बेटे को सही उपचार मिला होता तो शायद जान बच जाती। इसके अलावा अन्य शहीद परिवारों का कहना था कि सरकारी सुविधाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है।

प्रयागराज में 24 फरवरी को अतीक अहमद गैंग के शूटरों ने सरेआम उमेश पाल की हत्या कर दी थी। कॉन्स्टेबल संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात थे। अतीक के गैंग ने उमेश पाल के साथ उनकी सुरक्षा में लगे संदीप और राघवेंद्र को भी गोली और बम की चपेट में आ गए थे। वहीं शहीद संदीप की पत्नी रीमा ने बताया कि कि हमारी शादी 2021 में हुई थी। शादी के बाद साथ रहने का प्लान बना रहे थे लेकिन शायद नियति को यह मंजूर नहीं था।

वहीं जालौन के शहीद भेदजीत सिंह की पत्नी सीमा तो इतनी दुखी थी कि कुछ बोल नहीं पा रही थी। दस मई 2023 को दो अज्ञात बाइक सवार युवकों को झांसी की ओर उल्टी दिशा में जा रहे थे। सिपाही ने संदिग्ध गतिविधि देखते हुए दोनों को रोकने की कोशिश की। उनके न रुकने पर अपनी बाइक से पीछा किया। बाइक सवार बदमाशों को पकड़े जाने की आशंका पर भेदजीत सिंह की धारदार और किसी भारी हथियार से हमला बोल दिया। जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हुए और मौत हो गई थी।

(रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान, लखनऊ)

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