नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने अगले साल अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित भागीदारी और कुछ मुस्लिम नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री से प्रस्तावित मस्जिद की नींव रखने की अपील की तीखी आलोचना की है। मौलाना मदनी ने अपने बयान में कहा कि हम साफ तौर पर कहना चाहते हैं कि हम अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले को सही नहीं मानते हैं।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि यह फैसला गलत सिद्धांतों और आधारों पर गलत माहौल में दिया गया है, जो कानूनी और ऐतिहासिक तथ्यों के भी खिलाफ है। । मौलाना मदनी ने कहा कि ऐसे में देश के प्रधानमंत्री को किसी भी पूजा स्थल का उद्घाटन करने नहीं जाना चाहिए, बल्कि उचित होगा कि धार्मिक अनुष्ठान राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त हों और धार्मिक लोगों द्वारा ही किए जाएं।
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इस मौके पर मौलाना मदनी ने जमीयत उलमा के सभी स्तरों के पदाधिकारियों को आगाह किया कि वे जमीयत उलमा के रुख के खिलाफ किसी भी गैरजिम्मेदाराना बयान से बचें। गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में जमीयत के एक स्थानीय अधिकारी के हवाले से प्रधानमंत्री से मस्जिद के उद्घाटन में शामिल होने की अपील पर आधारित एक बयान प्रकाशित हुआ है, जिसे जमीयत के रुख के खिलाफ बताया गया है। ।
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