नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 27 जनवरी को वर्चुअल माध्यम से कजाकिस्तान, किर्गीज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों की भागीदारी के साथ भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की पहली बैठक की मेजबानी करेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच यह पहला इस स्तर का संवाद है। शिखर सम्मेलन मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के प्रगाढ़ होते संबंधों का प्रतिबिंब है, जो भारत के ‘विस्तरित पड़ोस’ का हिस्सा हैं।
मंत्रालय के अनुसार पहले शिखर सम्मेलन के दौरान भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने से जुड़े कदमों पर चर्चा की उम्मीद है। इससे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विशेष रूप से उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान होने की संभावना है। शिखर सम्मेलन भारत और मध्य एशियाई देशों के नेताओं द्वारा व्यापक और स्थायी भारत-मध्य एशिया साझेदारी के महत्व का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में सभी मध्य एशियाई देशों की ऐतिहासिक यात्रा की थी। इसके बाद द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर दोनों देशों के बीच उच्च स्तर पर आदान-प्रदान हुआ है। विदेश मंत्रियों के स्तर पर भारत-मध्य एशिया वार्ता की शुरुआत ने संबंधों को गति प्रदान की है। इसकी तीसरी बैठक पिछले साल 18-20 दिसंबर तक नई दिल्ली में हुई थी।
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पिछले साल ही 10 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के सचिवों की भागीदारी रही थी। इस वार्ता के चलते तालिबान के प्रशासन में आए इस देश के प्रति एक सामान्य क्षेत्रीय दृष्टिकोण रेखांकित किया गया था।
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