नई दिल्ली: PM Modi ने शनिवार को बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण (BAPS) संस्था के स्वयंसेवकों की प्रशंसा की और कहा कि यूक्रेन युद्ध के दौरान पोलैंड पहुंचे भारतीयों को युद्ध क्षेत्र से निकालने में बीएपीएस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए स्वयंसेवा बहुत जरूरी: PM Modi
प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित कार्यकर्ता सुवर्ण महोत्सव को संबोधित कर रहे थे। मोदी ने समाज कल्याण और सामुदायिक सेवा में बीएपीएस के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला और मजबूत राष्ट्र के निर्माण में स्वयंसेवा के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए स्वयंसेवा बहुत जरूरी है। उन्होंने दूसरों से संस्था के स्वयंसेवकों द्वारा स्थापित उदाहरण का अनुसरण करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने BAPS के सेवा अभियानों का जिक्र करते हुए कहा कि भुज में भूकंप से हुई तबाही के बाद के हालात हों, नारायण नगर गांव का पुनर्निर्माण हो, केरल में आई बाढ़ हो, उत्तराखंड में भूस्खलन का दर्द हो या कोरोना जैसी महामारी की आपदा, कार्यकर्ता के स्वयंसेवक हर जगह संवेदना के साथ सेवा करते हैं।
मानवता के हित में BAPS का योगदान सराहनीय: PM Modi
मोदी ने कहा कि जब यूक्रेन में युद्ध बढ़ने लगा तो भारत सरकार ने तुरंत वहां फंसे भारतीयों को निकालने का फैसला किया। इसके बाद बड़ी संख्या में भारतीय पोलैंड पहुंचने लगे। हालांकि, युद्ध के उस माहौल में पोलैंड पहुंचे भारतीयों की मदद करना एक चुनौती थी। ऐसे में BAPS के एक संत से बात की गई और उन्होंने सहयोग किया। रातों-रात पूरे यूरोप से BAPS कार्यकर्ता एकजुट हो गए। BAPS की यह शक्ति, वैश्विक स्तर पर मानवता के हित में आपका योगदान बहुत सराहनीय है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि दुनिया के 28 देशों में भगवान स्वामी नारायण के 1800 मंदिर और 21000 से अधिक आध्यात्मिक केंद्र हैं। ये दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति के केंद्र हैं। आज BAPS के कार्यकर्ता दुनिया भर में सेवा के माध्यम से करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव ला रहे हैं। वे अपनी सेवा से करोड़ों आत्माओं को छू रहे हैं और समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को सशक्त बना रहे हैं।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। सेवा परमो धर्म: – ये सिर्फ शब्द नहीं हैं, ये हमारे जीवन मूल्य हैं। सेवा को भक्ति, आस्था और पूजा से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। उन्होंने कहा कि जनसेवा को जनार्दन सेवा के बराबर बताया गया है।
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