नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं है बल्कि लोकतंत्र का जनक भी है। उन्होंने कहा कि अब हमें सबसे बड़े लोकतंत्र से सबसे परिपक्व लोकतंत्र की ओर बढ़ना है। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने शताब्दी स्मृति स्तम्भ का उद्घाटन किया। इसे बिहार विधानसभा के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाया गया है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है, जितना प्राचीन ये राष्ट्र है, जितनी प्राचीन हमारी संस्कृति है। हजारों वर्षों पूर्व हमारे वेदों में कहा गया है- त्वां विशो वृणतां राज्याय त्वामिमाः प्रदिशः पञ्च देवीः।…विश्व में लोकतन्त्र की जननी हमारा भारत है, ‘भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ है। बिहार की गौरवशाली विरासत, पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी इसके जीवंत प्रमाण हैं। बिहार के इस वैभव को न कोई मिटा सकता है, न छिपा सकता है।
उन्होंने कहा कि दशकों से हमें ये बताने की कोशिश होती रही है कि भारत को लोकतंत्र विदेशी हुकूमत और विदेशी सोच के कारण मिला है। लेकिन, कोई भी व्यक्ति जब ये कहता है तो वो बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत पर पर्दा डालने की कोशिश करता है। जब दुनिया के बड़े भू-भाग सभ्यता और संस्कृति की ओर अपना पहला कदम बढ़ा रहे थे, तब वैशाली में परिष्कृत लोकतंत्र का संचालन हो रहा था। जब दुनिया के अन्य क्षेत्रों में जनतांत्रिक अधिकारों की समझ विकसित होनी शुरू हुई थी, तब लिच्छवी और वज्जीसंघ जैसे गणराज्य अपने शिखर पर थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में संविधान को कुचलने का जब भी प्रयास हुआ है तब उसके खिलाफ बिहार ने सबसे आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका है। बिहार ने आज़ाद भारत को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए।
प्रधानमंत्री ने जन प्रतिनिधियों से पक्ष विपक्ष से ऊपर उठकर देशहित में आवाज उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश के सांसद के रूप में, राज्य के विधायक के रूप में हमारी ये भी ज़िम्मेदारी है कि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं। पक्ष विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर, देश के लिए, देशहित के लिए हमारी आवाज़ एकजुट होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने आज यहां विधानसभा संग्रहालय का शिलान्यास किया। इस संग्रहालय की विभिन्न दीर्घाओं में बिहार में लोकतंत्र के इतिहास और वर्तमान नागरिक संरचना के विकास का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें 250 से ज्यादा लोगों की क्षमता वाला एक कॉन्फ्रेंस हॉल भी होगा। साथ ही, इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने विधानसभा अतिथि गृह का शिलान्यास किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक, बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आज़ादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। बिहार विधानसभा ने ही राज्य को पंचायती राज में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य बनाया था।
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