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PM Modi की सोच से बढ़ा खादी का काम, नई पीढ़ी को भी आ रहा पसंद

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लखनऊ: उप्र खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के वरिष्ठ संयुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी एनपी मौर्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi ) के मन की बात में खादी को बढ़ावा देने की अपील पर प्रसन्नता व्यक्त की। एनपी मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और अपील से खादी का काम लगातार बढ़ा है। खादी ने रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में भी कदम रख दिया है। इसकी संस्थाएं रेडीमेड पैंट, शर्ट, कुर्ती आदि बनाकर बाजार में पेश कर रही हैं।

नए जमाने में फैशन से जुड़ी खादी

वरिष्ठ संयुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी एनपी मौर्य ने कहा कि खादी की पहचान वही पुरानी है। खादी की पहचान उसकी छपाई और बुनाई से होती है। पहले जैसी ही रंग छपाई देखकर लोग उसे पहचान लेते हैं, यही खादी का कपड़ा है। गांधीवादी विचारधारा वाले लोगों ने खादी को कभी नहीं छोड़ा। खादी के कपड़े उनकी पहली पसंद रहे हैं। अब खादी नए जमाने के बच्चों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही है। एनपी मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री की अपील के बाद खादी नए जमाने के फैशन से जुड़ गई है। खादी नए रूप में रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में उतर गई है। खादी का कपड़ा हमारे देश से दूसरे देशों में जा रहा है। खादी ऑनलाइन बिक रही है, यह बड़ी उपलब्धि है। अमेजन और फ्लिपकार्ट के जरिए खादी खरीदी जा रही है।

कई जगहों पर बढ़ा काम

खादी से जुड़ी संस्थाओं को सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं पर उन्होंने कहा कि खादी के काम से जुड़ी गांधी आश्रम की संस्थाओं को सरकारी मदद की सख्त जरूरत है। इसके लिए 19 जुलाई को बैठक भी हुई थी। संस्थाओं ने अपने विचार रखे थे। आजकल बाराबंकी के गांधी आश्रम में कपड़ों की रंगाई और बुनाई का काम हो रहा है, वहां बेहतर काम हो रहा है। रायबरेली में भारत सरकार का एक ही प्लांट है, जहां कॉटन से पॉली पर काम हुआ है। अभी प्रदेश में कुछ और बेहतर व्यवस्थाएं की जा सकती हैं।

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उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक स्कूलों में कुछ जिलों में खादी के कपड़ों की सप्लाई का काम दिया गया था। कुछ समय बाद इसे बंद कर दिया गया। अब स्कूल ड्रेस का पैसा अभिभावकों को भेजा जाता है। लखनऊ समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में खादी के कपड़ों की बिक्री करने वाली दुकानों को बेहतर बनाने के लिए नई योजनाएं लाई जानी चाहिए। इससे रोजगार बढ़ेगा, खादी आगे बढ़ेगी और यहां के कर्मचारी खुश होंगे।

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